कल तक जो अपने थे अब बदल रहे हैं 
उन्हें और नए लोगों के साथ परख रहा हूं मैं,,,
आज कल एक वीरान हवेली के जैसा खाली सा होगया हु मैं
उन्हें लगता है खुदगर्ज हो गया हूं मैं, 
सही मायनों में जिंदगी जी रहा हूं आजकल , 
लेकिन खाली सा हू मैं तुम बिन
कभी-कभी आंखो में आँसू, 
दिल में दर्द होता है, 
फिर भी ठीक हूँ , अच्छा हूँ , 
कहना पड़ता है आजकल, 
आज कल एक वीरान हवेली के जैसा खाली सा होगया हु मैं
कोई ग़लती हुई है मुझसे या 
किसी और पे मरने लगी हो आजकल, 
मुझे बेवजह नजरअंदाज 
क्यों करने लगी  हो आजकल , 
जो मेरे वज़ूद का आईना हुआ करती थी तुम
वो इश्क़ दिखाई क्यों नहीं देता है आजकल , 
बहुत खाली पन सा रहता हूं मैं  तुम बिन वो मेरी मधु,,,
किसी और को देखने की हसरत नहीं रहीं है हमे
ऐसा नहीं कि कोई नज़र ही नहीं आती है मुझे लेकिन
आज कल एक वीरान हवेली के जैसा खाली सा होगया हु मैं
 
सोते हुई रातों में जागता हूं मैं आजकल , 
अपनी ही परछाई से भागता रहता हूं आजकल, 
खंडर सा होगया हूं मैं तुम बिन वो मेरी मधु
गुजरे हुए लम्हों को याद करना छोड़ दिया है हम ने भी
खुद से ही मोहब्बत की तैयारी में लग गया हु 
मैंने परेशां होना छोड़ दिया है आजकल, 
आज कल एक वीरान हवेली के जैसा खाली सा होगया हु मैं 
तुम्हारी वो प्यारी दिल, कातिल आँखे और झूठी बातें, कहती थी एक पल बिछड़ना गँवारा नहीं , 
फिर क्यूँ इतनी दूरियाँ होगई है आजकल, 
आपकी एसी बेरुखी से ख़ाली सा होगया हूं मैं 
किसी के दिल मे झक कर देखना  देख के बताना, उसकी नीयत के बारे में, 
कभी नहीं पता चलता असलियत के बारे में, 
बहुत मुश्किल है ये सब जानना 
आज कल एक वीरान हवेली के जैसा खाली सा होगया हु मैं
तुम मेरे जेहन में, और मैं आपके दिल मे रहते थे फिर हम 
हम दोनों के बीच आयसे तूफान क्यों टहल रहे है आजकल, 
कुछ दिन ही रहते हैं साथ अपनों के, 
आज कल आपने ही मेहमान हो गए घर के, 
सब बिजी है अपने अपने लाइफ में आजकल, 
और मैं एक वीरान हवेली के जैसा खाली सा होगया हु मैं
सुनने में आया की आपकी सेहद ठीक नही रहतीहै आज कल या आपकी दिल कही और खो गयी है
अच्छा .. अच्छा … तभी तो मेरे दिल का कमरा एक वीरान हवेली के जैसा बिरान पड़ा रहता है आज कल
खाली सा हूं मैं तुम बिन आजकल ….. 
एक चेहरे के पीछे हजारों चेहरे छिपाए फिरते चल रहे है हम
दिल में  कुछ है,और सामने कुछ और  कहते चल रहे है हम  
किसी पे भरोसा नहीं रह गया है आजकल, 
आज कल एक वीरान हवेली के जैसा खाली सा होगया हु मैं 
नेकी कर दरिया में डाल, के लायक नहीं लोग , 
जैसे को तैसा देना पड़ता है आजकल, 
खाली सा हूं मैं तुम बिन आजकल. . 
जानते तो है सब एक दूसरे को , 
लेकिन सब व्यस्त हैं, 
घड़ी की सुई की तरह रिश्ते हो गए आजकल, 
आज कल एक वीरान हवेली के जैसा खाली सा होगया हु मैं
,,,,,,,,,,स्वरचित🌹🌹🌹🌹प्रितम वर्मा🌻🌻🌻🌻
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