संसार में पक्षियों की बहुत सारी प्रजातियां हैं । 
सब अपनी  अपनी आवश्यकताओं को पुरा करने के लिए मीलों मीलों तक जाती है। 
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इनका आना जाना लगा रहता है। 
फिर एक निश्चित समय के बाद ये अपने मूल आवास पे आ जाती है, 
प्रवास का समय ५ से ६ महीने तक का होता है, प्रवास स्थल की दूरी १०० मील से लेकर हजारों मीलों तक हो सकती है। 
प्रवासी पक्षी तलाबो के किनारे, चरागाहों , परती भूभि मे सैकड़ों मीलों की यात्रा के बाद उतरते थे, जहाँ सब शुद्ध जल, वायु, वनस्पतियाँ  इनका स्वागत करते थे, 
अब न तो चरागाह है न परती भूमिया , सब कुछ छिन्न गया है उनका, इसलिए अब प्रवासी पक्षिया कम दिखती है। 
पक्षी यात्रा के दौरान थकने, प्यास लगने, या भोजन की कमी के कारण  मर जाते हैं। 
हम मनुष्यों को इनकी मदद करनी चाहिए, इसलिए आवासों की संरक्षण की आवश्यकता को समझते हुए विश्व प्रवासी दिवस मनाया जाता है। 
पक्षियों की रक्षा करो, पलास्टिक, प्रदुषण को दूर करो।।
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