जल ही तो जीवन है-जल को न व्यर्थ बहायें
जल ही से तो हमारा जीवन है,
अमृत जल को ना व्यर्थ बहायें।
दुनिया में पानी बिना है सब सून,
पानी बोतल में बिके मूल्य है दून।
जल बिन केवल मीन न प्यासी,
जल का प्यासा है सारा संसार।
जल ही जीवन होता है सब का,
जल बिना यह जीवन है बेकार।
पशु पक्षी मानव कीट पतंगे सब,
जल बिन ये हो जाते हैं लाचार।
जल बिन होय न खेती किसानी,
जल है सभी जीवन का आधार।
हर शरीर में 70 प्रतिशत है जल,
जल के बिना हर शरीर है बेकार।
उल्टी दस्त किसी को जब आये,
जल ही निकले देह से बारम्बार।
साग में जल हरसब्जी में है जल,
जल इसका सूखे तो होये बेकार।
खीरा ककड़ी खरबूजा हर फल,
तरबूजे में जल भरा हुआ अपार।
जल बिन चले न कोई भी इंजन,
ईंधन की उसमे हो चाहे भरमार।
जल बिन कोई न भोजन पकता,
जल बिन होय ना पूजा संस्कार।
जलबिन होय न शरीर की शुद्धि,
किसी मृत का न हो दाह संस्कार।
सूखी नदियां नहीं किसी काम की,
जल ही नहीं तो नदी है वो बेकार।
सागर के गहराई की शोभा है जल,
वर्ना शील ह्वेल बौलरस हैं बेकार।
जल का भरमार यदि न हो नदियों में,
पानी में खड़े जो जहाज सभी बेकार।
आसमान सेही धरती पर बरसे पानी,
बादल नहीं बरसता जो होता बेकार।
“विश्व जल दिवस” का ये है आगाज,
जल अमृत है सरंक्षित करना आज।
कल का भविष्य होगा तभी सुनहरा,
जब हम सब बेकार न बहने दें जल।
बूँद बूँद भी बहेगा जल तो कम होगा,
दिखे खुली यदि टोंटी बन्द करो नल।
यह काम एक का नहीं है ये केवल,
बेकार कभी न बहाओ अमृत जल।
“विश्व जल दिवस” तभी हो सार्थक,
संकल्प अभी लें बचायेंगें हम जल।
जल से ही वन जल से ही उपवन,
जल ही से है हमारा ये मानव तन।
ये जल जीवन के लिए है मूल्यवान,
हम क्यों ना बनें जल के कदरदान।
जल संचयन संग्रहण संरक्षण करें,
जल के बचाव हेतु जागरूक करें।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.