जब बात होती हो “विश्वास की शक्ति” तो मैं यह कहूँगी कि वास्तव में विश्वास अक्षय शक्तिशाली होता है बशर्ते वह सही स्थान,व्यक्ति, वस्तु या शक्ति पर किया जाए। तो आइए,चलते हैं उसी पर चर्चा करते हैं।
जो भी चीज़ हमें दिखाई न दे उसे मानने के लिए हमें विश्वास का प्रयोग करना पड़ता है। जैसे कि हम भगवान पर विश्वास करते हैं लेकिन हमने भगवान को कभी देखा नहीं है। विश्वास के अस्तित्व से ही नामुमकिन चीजें मुमकिन हो पाती हैं। विश्वास का मतलब ही है हम किसी ऐसी चीज़ पर यकीन कर रहे है जिसे हमने कभी देखा नहीं है। पर मन में उस चीज़ के होने की आशा हमें उस चीज़ पर विश्वास करने की ओर ले जाती है। जो पूरी तरह से सकारात्मक रहकर ही किया जा सकता है। विश्वास सकारात्मकता का ही एक पहलू है। दोनों को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। जहाँ सकारात्मकता होती है वहाँ विश्वास होता है और जहाँ विश्वास होता है वहाँ सकारात्मकता होती है। अपने मन को सकारात्मक रखकर ही विश्वास को जीता जा सकता है। किसी भी चीज़ पर विश्वास करने के लिए सब से पहले हमें यह मानना होता है कि हम कुछ नहीं जानते और अपने आपको पूर्ण समर्पित करना होता है। ऐसे ही विश्वास किया जा सकता है।
विश्वास में इतनी शक्ति है कि यह एक पहाड़ को अपनी जगह से हिला सकती है। असंभव दिखने वाली चीजें भी विश्वास की शक्ति से सुलभ हो जातीं हैें। क्या आप जानते है कि मनुष्य को एक वरदान प्राप्त है कि वह जिस चीज़ की इच्छा या कामना करेगा उसे वह चीज़ आसानी से तभी प्राप्त हो जाएगी। सतयुग के मनुष्यों के लिए यह एक आम बात थी। क्योंकि तब तक मनुष्यों का मन दूषित नहीं हुआ करता था। लेकिन कलयुग के आते-आते मनुष्यों के मन इतना डर, चिंता, परेशानी से भर गया है कि आज का मनुष्य अपने आप पर ही विश्वास नहीं कर पाता तो अपनी शक्तियों पर कहाँ से विश्वास करेगा। फिर विश्वास की शक्ति पर विश्वास करने की बात तो बहुत दूर की है। क्योंकि बचपन से हमारे माता पिता ने जो अपने माता पिता से सीखा वह आगे चल कर अपने बच्चों को सिखाया कि हमें अपनी चादर से ज्यादा पैर नहीं फैलाने चाहिए। जिस से हम अपनी असल क्षमताओं को भूलकर अपने आपको एक आम मनुष्य समझ बैठे है, जिसे अपनी खुद की शक्तियों का बोध नहीं है। मनुष्यों को प्राप्त इन शक्तियों में से विश्वास की शक्ति भी एक है।
जब आपको यह प्रतीत होने लगे कि आप जो कर रहे हैं वह महत्वपूर्ण है तथा यदि आप अपने आप पर विश्वास करें, तो आपको अपने अंदर से ही शक्ति प्राप्त होती है। यह विश्वास करना कि आपका कार्य कितना भी छोटा क्यों न हो, किन्तु अर्थपूर्ण है, आपके आत्म सम्मान को और मनोबल को बढ़ाता है। ऐसा मनोबल आपके आत्म-विश्वास को प्रोत्साहित करता है और आत्म-विश्वास आपके लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु महत्वपूर्ण तत्व है, चाहे वे आध्यात्मिक हो अथवा भौतिक लक्ष्य,पर एक बात ध्यान देने योग्य है कि विश्वास की अपरिमित शक्ति के लिए अत्यंत सरल हृदय होना प्रथम आवश्यकता है।हृदय यदि छल-कपट प्रवंचना से भरा हुआ है तो इस विश्वास की शक्ति फलीभूत होती नहीं दिखती है।
सुषमा श्रीवास्तव, मौलिक विचार, रुद्रपुर, उत्तराखंड।

