आज  जब हम  इतिहास के पन्ने पलटते हैं तो पाते हैं कि पहले के समाज में कई कुरीतियां व्याप्त थीं ,बाल विवाह,सती प्रथा, पर्दा प्रथा ,सारे कायदे कानून महिलाओं को घर की देहरी में रखने को बने थे।
स्त्रियों की स्थिति बद से बदतर थी ,उन्हें अनपढ़ ही रखा जाता था और बचपन में ही उनका विवाह  किसी प्रौढ़ या उम्र में 10,12 साल बड़े व्यक्ति से कर दिया जाता था ।
बीमारी ,बड़ी उम्र के कारण पति की मृत्यु जब हो जाती थी तो उनकी विधवाओं को उनकी इच्छा के विरुद्ध सती होने के लिए विवश किया जाता।इस सामाजिक कुरीति को हटाने का कार्य राजा राम मोहन राय ने किया उन्होंने इस प्रथा के विरुद्ध आवाज उठाई , समाज को जागरुक करने के लिए हिंदी ,बंगला ,और अंग्रेजी में पुस्तक लिख कर बंटवाई ,उनके सतत प्रयास का नतीजा हुआ कि 4 दिसंबर 1829 को इस प्रथा को रोकने के विलियम बेंटिक की अगुआई में कानून बना।
सती प्रथा तो किसी तरह रुकी,शिक्षा के कारण लोगों की सोच बदली ,परंतु आज भी कही कहीं कुछ छिट पुट घटनाएं सुनाई दे ही जाती हैं,इसमें सबसे चर्चित कैस था रूपकुंवर का ।
सती प्रथा रूक तो गई परंतु सफेद कपड़े में लिपटी इन रंगहीन जिंदगियों को आज भी सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है।
उनके साथ समाज मानवीय व्यवहार नहीं करता ,शुभ कार्यों में उनकी भागीदारी शून्य oti है।
पहले उनके केश काट दिए जाते थे,उन्हें जमीन पर सोना ,संयमित जीवन गुजारना होता ,हर चीज में उनके लिए पाबंदी थी ।बंगाल की महिलाओं का देश में बुरा हाल था, उन महिलाओं को भक्ति के नाम पर कि, जाओ ईश्वर का ध्यान करो तुम्हारे बुरे कर्म के कारण तुम्हारा सुहाग उजड़ गया ,कहकर घर से निकाल दिया जाता ।वो दर दर मंदिरों के पास भीख मांगने को मजबूर हो जाती हैं।
बंगाल के प्रमुख समाज सुधारक ईश्वरचंद्र विद्यासागर  ने विधवा  विवाह के लिए आवाज उठाई ,सामाजिक जनजागरण द्वारा विधवा विवाह की वकालत की इसे समझाने के  लिए उन्होंने शास्त्रों और वेदों का सहारा लिया ।
उनके प्रयासों के ही कारण ब्रिटिश सरकार ने विधवा विवाह अधिनियम,26 जुलाई 1856 पारित किया ,जिसमें विधवा विवाह को कानूनी मान्यता दी गई।
अन्य समाज सुधारकों ने भी विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा दे उनकी स्थिति अच्छी करने की दिशा में योगदान दिया,जिसमें केशव कर्वे का नाम प्रमुख है, उन्होंने 1893 में विधवा से न केवल विवाह किया ,बल्कि उनके लिए स्कूल भी स्थापित किया जहां  कई रोजगार परक कोर्सेज चलाए जाते हैं।
आज सरकार की तरफ से विधवा विवाह करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है।राज्य सरकारें अपने अपने राज्य में इसे प्रोत्साहित करने के लिए कई उपहार ,आर्थिक मदद भी कर रही हैं।
समाज को इसके लिए आगे आना चाहिए , हमे अपने परिवार ,आस पास में कम उम्र में हुई विधवाओं के रंगहीन जिंदगी को एक बार फिर से रंगीन बनाने के लिए आगे आना होगा।अकेलेपन ,अवसाद,उपेक्षा से जूझती जिंदगी में प्रेम की कोंपले खिले उसके लिए उसे उपयुक्त वातावरण में खाद देना आवश्यक है।
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