भारतीय संस्कृति में बचपन से ही बड़े बुजुर्गों का सम्मान करना सिखाया जाता हैं,परंतु आज के इस भौतिकता वाले दौर में बच्चे मोबाइल या कथित बच्चे पालने वाली दीदी के हाथों पल रहे हैं। जिससे उनमें भावनात्मक लगाव अपने माता पिता से ही उतना नहीं हो रहा ,तो दादा दादी नाना नानी तो कोई मायने नहीं रखता।
आज की पीढ़ी पैसे के पीछे भागी जा रही है,मानवीय मूल्य बहुत पीछे छूटते जा रहे हैं।
रचना और प्रवीण पति पत्नी थे ,दोनों में बहुत प्यार था ,बिट्टू उनका 5 साल का बेटा महंगे स्कूल में जाता था।
प्रवीण के माता पिता दोनों गांव में रहते थे ,प्रवीण के पिता स्कूल से रिटायर हुए थे,पेंशन मिलती थी , गांव की खेती थी दोनों पति पत्नी आराम से रह रहे थे ,बीच बीच में प्रवीण के घर भी ढेर सारा सामान ,मौसमी फल लेकर चले जाते थे ।
एक दिन अचानक प्रवीण को उसके पिता का फोन आया बेटा मां नहीं रही।प्रवीण दौड़ता हुआ सपरिवार गांव पहुंचा।
सारे कार्यक्रम निपटाता रहा ,लेकिन पिता का अकेलापन और उदासी उसे काटने दौड़ती।गांव के सभी लोगों ने कहा बेटा _तुम्हारे पिता अकेले हो गए ,शायद अकेलापन बर्दाश्त न कर सकें ,इन्हें अपने पास ही शहर ले जाओ,वहां परिवार के साथ रहेंगे तो इनका मन भी बहल जाएगा।
सारे कार्यक्रम निपटने के बाद प्रवीण ने पिता को अपने साथ चलने को तैयार कर लिया।
रचना को बहुत बुरा लग रहा था ,लेकिन मौके की नजाकत देख कुछ न बोली।
पिता खुश थे ,लेकिन रचना की आजादी पर जैसे पाबंदी लगने वाली थी।
दो महीने किसी तरह रचना ने गुजारे ,रोज सहेलियों के फोन आते तो एक ही रोना रोती _क्या करूं यार ,पापा जी को टाइम टाइम से खाना देना होता है ,कभी ये फरमाइश तो कभी वो,दिन भर काम करते करते थक जाती हूं।
दूसरी तरफ से आवाज आई _यार किटी में तू नहीं आती तो मजा नहीं आता।
रचना ने कहा_आऊंगी यार ,देखती हूं कितने दिन रहेंगे, मैं तो प्रवीण से कह रहीं थी कि गांव की खेती बेच दो,और बिट्टू के नाम पैसे जमा कर दो ।आजकल की शिक्षा तो तू जानती ही है कितनी महंगी है।
सही बात कह रही है तू_दूसरी ओर से उसकी सहेली ने हामी भरी।
अच्छा चल फोन रखती हूं,प्रवीण के आने का समय हो गया है।
इतनी कहानी सुनाने कर हमदर्दी लेने वाली रचना का व्यवहार ससुर से बहुत अच्छा नहीं था ,बिट्टू को कम ही उसके दादा जी के पास जाने देती ,और खाना बना कर रख देती और टीवी देखती या मायके फोन कर गप्पे मारती ,प्रवीण के पिता खुद ही खाना लेते।
शाम को प्रवीण के आते ही ढेरों शिकायतें ।
आज उसने ससुर के सामने पैंतरा फेंका _पापा जी गांव तो अब किसी का आना_ जाना नहीं हो रहा क्यों न वहां की जमीन बेच कर एक अच्छा फ्लैट यहां खरीद लें ,कब तक किराए के मकान में रहा जाए जब रहना यहीं है तो ,और बचे पैसे बिट्टू के नाम जमा कर दें तो उसकी पढ़ाई अच्छे से हो पाए।
ठीक है बहू, जैसा तुमलोग ठीक समझो।
प्रवीण के पिता ने एक महीने में गांव की सारी जमीन बेच दी,और लौट आए।
नया विला खरीदा गया,सब कुछ नया नया ,रचना की मन की मुराद पूरी हो गई थी।
6 महीने मुश्किल से बीते होंगे,अब फिर से रोज प्रवीण के कान भरने शुरू हो गए पिता के खिलाफ।
प्रवीण के आंख कान खुले थे ,वो ज्यादा रचना की बातों पर ध्यान नहीं देता था।
आखिर एक दिन रचना ने हद ही कर दी,उसने धमकी दे डाली या तो पापा घर में रहेंगे या तो मैं।
लेकिन पापा जाएंगे कहां ?_ प्रवीण धीरे से बोला।
रचना की आवाज जोर थी ,प्रवीण ने रचना को आवाज धीमी करने को कहा।
प्रवीण को डर था कि कहीं पापा उनकी बातें सुन न लें।
उसने रचना को यह कहकर शांत किया कि ठीक है कल पापा को कहीं छोड़ आऊंगा।
रात भर प्रवीण सो नहीं पाया सोचता रहा ,जबकि रचना आराम से अच्छी नींद ले रही थी।
सुबह पिता को तैयार होने को कहा।
बिट्टू दौड़ कर प्रवीण और रचना के पास आया _दादा जी कहां जा रहे हैं ,मम्मी पापा?
उस समय प्रवीण और रचना अपने कमरे में थे।
प्रवीण ने कहा _बेटा ,तुम्हारी मम्मी को दादा जी पसंद नहीं हैं ,इसलिए उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ने जा रहा हूं।
अपना इतना बड़ा घर है ,क्या वहां जहां दादा जी जा रहे और भी अच्छा है क्या,पापा ,मुझे भी वहां चलना है_बिट्टू जिद करने लगा।
रचना बिट्टू को डांटती हुई बोली _ वहां बच्चे नहीं जाते,दादा जी के हम उम्र लोग वहां रहते हैं जिससे मिल दादा जी की खुशी और बढ़ जाएगी।
तो मम्मी मैं जब बड़ा हो जाऊंगा तो तुम्हें और पापा को वहां छोड़ आऊंगा_बिट्टू ने खुश होते हुए कहा।
रचना गुस्से से दांत पीसते हुए बोली ,आजकल पापा के साथ रहते कुछ ज्यादा ही बोलने लगा है।
अच्छा चलता हूं,_प्रवीण ने कमरे से निकलते कहा।
बाहर प्रवीण के पापा इंतजार कर रहे थे।
दोनों ने प्रस्थान किया।
अगले दिन प्रवीण के घर पुलिस आई ,दरवाजा प्रवीण ने खोला _क्या बात है,इंस्पेक्टर साहब ।
हमें रचना निगम से मिलना है,उनके खिलाफ वारंट है।
पर क्यों?_प्रवीण ने घबरा कर पूछा।
उनके खिलाफ उनके ससुर ने केस दर्ज करवाया है, वे उनसे दुर्व्यवहार करती हैं ।
क्या?_तब तक रचना अंदर से आई।पुलिस को देख सकपका गई उसके माथे पर पसीने की बूंदे साफ दिखाई दे रहीं थीं।
महिला पुलिस रचना की ओर बढ़ी।रचना प्रवीण के पीछे जाकर दुबक गई।
प्रवीण ने कहा_आइए इंस्पेक्टर साहब आपको कोई गलतफहमी हुई है ,बैठ कर बात करते हैं।
इंस्पेक्टर और महिला सिपाही बैठ गए _आप मुझे भले व्यक्ति लग रहे हैं, मैं आपकी बात सुन लेता हूं ।
कहिए क्या कहना चाहते हैं?_इंस्पेक्टर राघव ने कहा।
रचना माथे से पसीना पोछती हुई,_”सर हमलोग पापा का बहुत अच्छे से ख्याल रखते हैं।
अच्छा_इंस्पेक्टर राघव के चेहरे पर व्यंग वाली मुस्कुराहट खेलने लगी।
अच्छा तो रचना जी ,अपने ससुर जी को बुलाइए।
जी …जी…हकलाने लगी रचना।
क्या जी जी ,हमने तो आपके ससुर को बुलाया जिसका आप बहुत अच्छे से ख्याल रखती थीं वो कहां हैं उन्हीं के सामने आप बताइए तो हम मान लेंगे।
रचना जोर जोर से रोने लगी ।मुझे गिरफ्तार कर लीजिए मैं इसी योग्य हूं।
मैंने हमेशा से उन्हें भला बुरा कहा ,उनकी संपत्ति बिकवा कर उन्हें वृद्धाश्रम भिजवा दिया ,आज अगर आप लोग हमें गिरफ्तार करने न आते तो शायद मेरी आंख नहीं खुलती ।
अरे बहू _दरवाजे से पिता जी की आवाज आती सुन रचना ने देखा कि उसके ससुर जी खड़े हैं।
आंसू पोछती वह दौड़ पड़ी ,और अपने ससुर के पैर पर गिर पड़ी_पापा मुझे माफ कर दीजिए।
तभी अचानक सभी पुलिस वाले और प्रवीण खड़े हो कर ताली बजाने लगे।
रचना आश्चर्य से उनकी ओर मुड़ी।प्रवीण रचना के करीब आया और कहने लगा _ये सब नाटक था तुम्हारी आंख खोलने के लिए।
पापा का त्याग तुम्हें दिख नहीं रहा था इसीलिए ये नाटक करना पड़ा ,ये सब मेरे दोस्त हैं इन्हें मैने ही पुलिस की वर्दी में आने को कहा था।
तुम अखबार , टीवी नहीं देखती केवल पार्टी और गॉसिप में व्यस्त रहती हो,अपनी सहेलियों के सीखने में आ जाती हो।
आज जो ऐशोआराम में जिंदगी जी रही हो वो सब पापा जी की बदौलत ।
पापा जी को हमारे रहमो करम पर रहने की जरूरत नहीं बल्कि हमें है।
तुम्हें पता है_
_पापा को पेंशन मिलती है अपने गुजारे को उसे उन्होंने फिक्स्ड डिपॉजिट करा रखा है ,अपने और बिट्टू के नाम उसपर उन्हें ज्यादा ब्याज मिलता है।
_उन्हें रेलवे ,हवाई यात्रा सबके भाड़े में छूट मिलती है।
_पापा के पैसे पर आयकर नहीं कटता।
_प्रधानमंत्री ने व्यस्क वंदन योजना पापा जैसे बुजुर्गों के लिए चलायी है जिसके अंतर्गत 10 साल में सालाना रिटर्न की गारंटी के साथ पेंशन दी जाती है।
राष्ट्रीय बीमा कंपनी ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए वरिष्ठ मेडिक्लेम पॉलिसी भी प्रदान की है।
और सुनो श्रीमती जी माता पिता और व्यस्क नागरिक भरण पोषण और कल्याण नियमावली 2014 के अंतर्गत घर से निकाले गए वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण के लिए बच्चों को 10000 रुपए हर्जाना देना होगा।
समझ गई मैं_ रचना शर्मिंदा थी।
सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए कई योजना चलाई हैं जिससे उन्हें सम्मान से जीने का हक मिल सके।
समाप्त।
संगीता सिंह