जिसकी छाया में तू है खड़ा,
उसी पर ऐसा कठोर प्रहार,
मत काट मुझे ऐ निष्ठुर प्राणी,
मैं हूं तेरे जीवन का आधार।
रेगिस्तान बन जाएगी यह धरा,
पानी के लिए मचेगी हाहाकार,
मत काट मुझे ऐ निष्ठुर प्राणी,
मैं हूं तेरे जीवन का आधार।
प्राणवायु मुझसे हीं हो पाते,
मेरे बिना नहीं ये जीवन संसार,
मत काट मुझे ऐ निष्ठुर प्राणी,
मैं हूं तेरे जीवन का आधार।
मेरी गोद में पल रहे हैं वन्य प्राणी,
मत छीन उनसे उनका घर-बार,
मत काट मुझे ऐ निष्ठुर प्राणी,
मैं हूं तेरे जीवन का आधार।
ईश्वर ने भेजा मुझे धरती पर,
तेरे लिए बनाकर सुंदर उपहार,
मत काट मुझे ऐ निष्ठुर प्राणी,
मैं हूं तेरे जीवन का आधार।
रंजना लता (ए.एन.एम)
समस्तीपुर, बिहार