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वतन के सपूतों, वतन पे शहीद हो।
तुम ही तो देश की जान हो ।।
वतन के जवानों , वतन पे फिदा हो।
तुम ही तो देश की शान हो।।
वतन के सपूतों —————— ।।
अगर कोई हो दुश्मन वतन का।
सिखाना सबक ऐसा उसको।।
आये नहीं फिर नजर वह यहाँ पर।
तुम्हारा रहे डर हमेशा उसको।।
वतन के लोगों , वतन से वफ़ा हो।
तुम ही तो देश की आन हो ।।
वतन के सपूतों ——————।।
देकर जिन्होंने कुर्बानी अपनी।।                                इस देश को आजाद किया।।
लूट गये चाहे वो मिट गये ।
लेकिन चमन को नहीं लूटने दिया।।
आपस में लड़कर लहू मत बहाओ।
नहीं कम वतन का सम्मान हो ।।
वतन के सपूतों ——————–।।
रचनाकार एवं लेखक- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
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