आज हूं मै जो खुश इतनी,उसकी एकमात्र वजह तुम हो,
आज हूं मै इस मुकाम पर,उसकी वजह तुम हो!
टूट चुकी थी खा-खाकर थपेडे,बेदर्द जिंदगी के,
तन्हा सी रहती थी,भीड मे,वीरानी सी छाई थी,
आज खुश बैठी हूं भरी महफिल मे,उसकी वजह तुम हो!
ना बची थी चाहत जीवन की,ना अरमां खुशियो का था,
जिन्दगी का हर अपना,मशगूल अपनी खुशियो मे था,
आबाद हुई मेरे जीवन की बगिया भी,उसकी वजह तुम हो!
ना खुशियो का मेला था,दिल बिल्कुल अकेला था,
कैसे बताऊं दिल ने कितने जख्मो को झेला था,
आज है दुनिया के सबसे खूबसूरत दो फूल मेरी बगिया मे,उसकी वजह तुम हो!
मेरी दुनिया को बेहतर से बेहतरीन बनाने की वजह तुम हो!
आज हूं मै जो कुछ भी उसकी,एकमात्र वजह तुम हो!
                                          श्वेता अरोडा
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