———————————————–लो आ गया गणतंत्र दिवस, महफिल इसकी सजाई है।
मनाने को यह राष्ट्रीय पर्व , सभी ने मजलिस जमाई है।।
लो आ गया गणतंत्र दिवस———।।
उत्तर से दक्षिण तक, पूर्व से लेकर पश्चिम तक ।
आई है बहार इस जमीं पर, बज उठी शहनाई है।।
सलामी देते सरहद प्रहरी,करके सिर ऊंचा तिरंगे को।
उस लाल किले की प्राचीर से, आवाज वतन की आई है।।
लो आ गया गणतंत्र दिवस———।।
टूटे नहीं एकता अपनी यह, दिल है अपना हिंदुस्तानी।
वीरों की कुर्बानी सुनकर, अश्कों से आंखें भर आई है।।
मानवता की पूजा हो यहाँ, रहे आबाद यह अपना चमन।
फांसी पे चढ़ते वीरों ने , यही बात हमको सिखाई है।।
लो आ गया गणतंत्र दिवस———।।
ना बहे खून मजहब के लिए, ना बलवें हो जाति – धर्म के।
महापुरुषों, सन्तों, गुरुओं ने,सदा अलख यही जगाई है।।
हम सब करें यही प्रण आज, देशभक्ति अपनी निभाएंगे।
 ऐसे ही मनाये यह शुभ दिन, देखो चिड़िया चहचहाई है।।
लो आ गया गणतंत्र दिवस———।।
रचनाकार एवं लेखक – 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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