लोग होंगे दीवाने तेरे रूप के, करते होंगे मंजनू तारीफ तेरी।
लेकिन मैं तेरा आशिक नहीं, ना ही मैं करूँगा तारीफ तेरी।।
लोग होंगे दीवाने तेरे रूप के ————————।।

अगर मैं देखता हूँ तुमको, मतलब इसका यह तो नहीं।
सोचता हूँ अगर कुछ मैं, मगर वह मतलब तू तो नहीं।।
कहते होंगे तुमको लोग, हुस्न परी, हुस्न परी।
लेकिन मैं तेरा आशिक नहीं, ना ही मैं करूँगा तारीफ तेरी।।
लोग होंगे दीवाने तेरे रूप के ———————-।।

करके श्रृंगार ऐसे यहाँ तू , किसको लुभाती है।
जवां है तू मगर ऐसे, जवानी किसको बताती है।।
दिखाते होंगे तुमको लोग, अपनी आशिकगिरी।
लेकिन मैं तेरा आशिक नहीं, ना ही मैं करूँगा तारीफ तेरी।।
लोग होंगे दीवाने तेरे रूप के ————————-।।

बहरहाल तुम यह काम करो, देखो अपना आईना।
हाथ तुमको कुछ नहीं लगेगा, देखो और का सपना।।
पूजते होंगे लोग तुमको, करते होंगे खुशामद तेरी।
लेकिन मैं तेरा आशिक नहीं, ना ही मैं करूँगा तारीफ तेरी।।
लोग होंगे दीवाने तेरे रूप के ————————।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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Gurudeen Verma

By Gurudeen Verma

एक शिक्षक एवं साहित्यकार(तहसील एवं जिला- बारां, राजस्थान) पोस्टेड स्कूल- राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, नांदिया, तहसील- पिण्डवाड़ा, जिला- सिरोही(राजस्थान) 2900 से ज्यादा रचनायें

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