लगाकर मुखौटा चेहरा खुद का छुपाए बैठे हैं
छुपाकर रंग अपना बेरंग खुद को बताए बैठे हैं
कहने को तो हमदर्द हैं मगर देकर नाम मोहब्बत कामौत का जाल बिछाए बैठे हैं
गौरी तिवारी भागलपुर बिहार

लगाकर मुखौटा चेहरा खुद का छुपाए बैठे हैं
छुपाकर रंग अपना बेरंग खुद को बताए बैठे हैं
कहने को तो हमदर्द हैं मगर देकर नाम मोहब्बत कामौत का जाल बिछाए बैठे हैं
गौरी तिवारी भागलपुर बिहार
I am student as well as a writer