वीर भूमि बुंदेलखंड है बड़े लड़इया जे सरदार।
दुश्मन से कबहु ना डरते लोहा लेबे को तैयार।।
आन बान और शान के लाने धरे हथेली रहते प्रान।
बैरी आओ चढ़ के जोनै ऊको  दीन निशान मिटाए।
थरथर कापे बैरी सगरे जस दुनिया में फैलो आय ।
 झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जिनको बल को पावो   ने पार।।
 जब गोरे ने झांसी छीनी रानी ने तब दै ललकार।
झांसी मोरी है ना दे हो चाहे जान चली है जाए।।
जब रणचंडी रण में  उतरी लहे कालिका को अवतार।।
दोऊ हात तरवार चला रईं बैरी छाँडि़ भगे मैदान। 
तेईस बरस की उमर मा रानी बैठी सरग सिंहासन जाय।। 
आशा जस गाबे रानी को  साका  चलो अँगारू जाय।
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित सर्वाधिकार सुरक्षित डॉ आशा श्रीवास्तव जबलपुर
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