चौदह बरस के वनवास को चल दिए|
उर्मिला संग क्षणिक पल बिता विरह वेदना का कष्ट वह लिए।।
राजवैभव का किया त्याग।
भइया-भाभी के चरणों में ही समझ अपना अहो भाग ।।
वन की पीड़ा को  झुठलाया।
शुर्पनखा को सबक सिखाया।।
भाभी मां की रक्षा हेतु किया लक्ष्मण रेखा का निर्माण।
मेघनाद से युद्ध के समय तैयार खड़े न्यौछावर करने अपने प्राण।।
जहां महाबली लंका नरेश रावण की मृत्यु का कारण बने उनके ही भाई विभीषण।
वहीं अपने ज्येष्ठ राम की सदैव रक्षा किए लक्ष्मण।।
इस अद्भुत गाथा को सुन पुलकित हो जाता संसार।
सचमुच! लक्ष्मण जैसे भ्रातृप्रेम की महिमा अपरंपार।।
सिद्धि अग्रवाल
मुरैना, मध्यप्रदेश
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