चैत्र शुक्ल पूर्णिमा है,हनुमान जी का जन्म दिवस।
स्नान दान व्रत पूर्णिमा,महावीर का जन्म दिवस।
पिता केशरी माता अंजना जी के गर्भ से अवतार।
श्री हनुमान जी भगवान रूद्र के ग्यारहवें अवतार।
हनुमान जी का इसी लिए नाम केशरी नंदन भी है।
कई नाम बजरंगी के नाम एक अंजनी नंदन भी है।
 
भगवान विष्णु के सतवें अवतार श्रीराम के सेवक।
प्रभु राम सदा जिनके दिल में रहे ऐसे परम सेवक।
नान्हें रवि भक्षि लिये तीनों लोक छाया अँधियारा।
देवों के विनती पे छोड़े रवि कष्ट कटा हुआ सवेरा।
हवा में उड़ते हैं  बजरंगी पवन पुत्र हनुमान कहाये।
सीताजी का पता लगाये श्रीराम को सुख पहुँचाये।
निज सीना फाड़ उर बसे सीताराम को दिखलाये।
श्रीराम की हर आज्ञा का पालन कर के दिखलाये।
लंका जारि असुर संघारे सियाराम के प्राण पियारे।
सीता से मुँदरी लाये प्रभु को देकर हैं शोक निबारे।
नयनों के प्राण प्यारे राम लक्ष्मण को काँधे बैठाये। 
श्री हनुमान लंका में विभीषण को हैं राज दिलाये।
संकट मोचक हनुमान जी सब ही के कष्ट सदा हरे।
लक्ष्मण को शक्तिबाण लगा ये लाय संजीवनी धरे।
श्रीराम संग रहकर  रावण परिवार संग युद्ध किये।
सीता माँ को सकुशल ला प्रभु श्रीराम को हैं दिये।
बिना हनुमत के कभी न पूरा होता श्रीराम दरबार।
जहाँ-2 श्रीराम हैं वहाँ-2 हैं संकट मोचक सरकार।
ऐसे महावीर बजरंगी की ये पावन पुण्य जयंती है। 
हिन्दू सनातन धर्मियों का आस्था पर्व है जयंती है। 
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
                        जो कछु संकट होय हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि
                        संकट मोचक नाम तिहारो।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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