टूटते नही बिखरते है
रिश्तों की डोर से हम बंधते है
चाहत होती है रिश्ते निभाने की
लेकिन मायने समझ  नही पाते है
डोर बड़ी नाजुक होती है रिश्तों की
     कस के बांधना पड़ता है
हर पल कोशिश रहती है कोई रुठे न
     किसी का साथ छुटे न
कभी भी रिश्तों की डोर टुटे न
रिश्तों की मुस्कुराहटों का कोई मोल नहीं
        न कोई तोल 
  हर मोड़ पर मिल  जाते हैं लोग
     जो बन जाते है अनमोल
एक गलती से टूट जाते हैं रिश्ते
एक सच से चहक जाते हैं रिश्ते
      टूटते नहीं बिखरते है 
रिश्तों की डोर से हम बधते है।
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