आज पहली बार राज को अपने पति धर्म की समझ आई थी, इतना कुछ होने के बाद। दिन में बात कुछ और ही थी-
रानो खाना बनाने रसोई में जाती है। भगवान का नाम लेते लेते वो खाना बना रही थी। सब कुछ ठीक चल रहा था, मगर गैस की बदबू के कारण रानो डरी सहमी थी ।
कौन कहेगा ये वही रानो है जो दूसरी औरतों के अधिकारों के लिए लड़ लिया करती थी। अब तो वो बिल्कुल ही बदल चुकी थी। खुद को इतना बदलने पर वह खुद ही टोके जा रही थी, ” क्या जरूरत थी मुझे खाना बनाना अपने सिर लेने की, एक तो सारे घर का काम करके खाना बनाने में लगी हूं, उस पर गैस भी खराब ।”
रानो खुद को कोस ही रही थी कि तभी बंद नोब वाले गैस में आग भड़की। रानो के मूंह से चीख निकल गई, वो चीखती हुई बाहर दौड़ी। तभी सास ससुर अंदर दौड़कर आए, अब तक राज भी घर आ गया, आज उसका हाफ टाइम था। रानो की चीख उसने बाहर तक सुनी इसलिए वो भी दौड़कर अंदर आया। तब तक ससुर जी ने गैस की आग पर काबू पा लिया था। और रेगयूलेटर निकाल लिया था ।
तभी राज का आना होता है, ” मां, क्या हुआ मैंने रानो की चीख सुनी !”
सुमित्रा जी ने बात घुमाते हुए कहा, ” कुछ नहीं बेटा ज़रा सी आंच देख कर घबरा गई है।”
रानो कमरे में रोती रही, शाम को माता-पिता को चाचा के यहां शादी के लिए रवाना करके राज रानो के पास कमरे में आता है, ” रानो इतना क्या रोना ?”
” मेरी जगह अगर तुम्हारी मां होती तो !” रानो ने रोते हुए कहा ।
राज का गुस्सा फूट पड़ा, ” क्या बक रही हो !”
” अच्छा अपनी मां की बात आई तो तड़प उठे, मैं भी तो किसी की मां हूं।
” क्या कह रही हो रानो ?”
” हां मैं सुबह ही तुम्हें ये खुश खबर देना चाहती थी । मगर माहौल ही नहीं बना।” सिसकती रानो ने बताया ।
राज खुश तो था मगर शर्मिंदा भी, ” रानो तुम ने मुझे और मेरे परिवार को सिर्फ दिया है, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं कर सका । क्या करता एक अच्छा बेटा बनने जाता हूं तो अच्छा पति नहीं बन पाया।”
” लेकिन सामंजस्य बिठाना मेरे अकेली के बस में नहीं, आप की भी तो जिम्मेदारी है।”
“हां, मैं तुम्हारा ध्यान रखूंगा रानो। चलो आज कहीं बाहर घूमने चलेंगे। आज का दिन तुम जैसे चाहोगी वैसे ही करेंगे। खाना भी बाहर खाएंगे।”
किसे पता था अगले पल क्या होने वाला था । अगला पल रानो की जिंदगी में क्या लाता है, जानने के लिए जुड़े रहिए । अगला भाग जल्द ही आ रहा है। धन्यवाद जी
आपकी अपनी
(deep)