मुंह में राम बगल में छुरी
स्वार्थ से भरे,ये मतलबी इंसान
सूरत जिनकी भोली
मन में भरा खोट
अंदर से हैं कुछ बाहर कुछ
और मुंह से जपते राम राम
मगर बगल में अपने छुरी रखते
लवों पर अपने कुटिल मुस्कान सजाए रखते
ऐसे ही स्वार्थी और मतलबी से भरा येजमाना
मुश्किल है इनके जाल से निकल पाना
कथनी और करनी में होता
अंतर जमीं आसमान का
मिलते ही मौका पीठ में छुरा घोंप देते
रंग बदलने में तो गिरगिट को
भी शर्मिंदा ये करते
बगुला भगत बनसबको
अपने जाल में फंसाते
पलक झपकते ही
शिकारी बन शिकार कर जाते।।
