धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का।
लालच है बुरी बला
लालच में सब खोए
ज्यादा लालच करने से
धोबी के कुत्ते जैसी
उनकी हालत होय
जो बनता ज्यादा लालची
मिलता वह भी गंवाए
ना घर का रहता ना घाट का
फिरता वह जग में
मारा मारा फिराय
मिले जितना उसमे संतुष्ट रहो
संतोष परम धन
कह गए बड़े सयाने
यही था उन का मानना
और और के लालच में
पास का भी खो देये।