उल्टी गंगा बहाना
नारी घर से बाहर जाकर
हर क्षेत्र में परचम फहरा रही
पुरुष घर गृहस्थी संभाल रहे
उल्टी गंगा बह रही
जाती दुल्हन बारात लेकर
लडके वाले आवभगत करते
लड़की वाले रुआब दिखाते
उल्टी गंगा बह रही
घोर कलयुग आ या भाई
चापलूस प्रमोशन पा रहे
काबिल धक्के खा रहे
आफिस के चक्कर काट कर
जूते अपने घिसवा रहे
बड़ी बड़ी डिग्रियां हाथ में रख
पानी पूरी और चाय की
ढेल वो लगा रहे
उल्टी गंगा बह रही।