अंधे की लाठी

संतान माता पिता की

अनमोल धरोहर है

अंधे की लाठी हैं वह

जीते जिसका मुंह देखकर

उनकी खुशियों की खातिर

जीवन अपना देते वार

दिन रात एक कर देते

उनके पालन पोषण में

खुद कष्ट सहकर भी

हर इच्छा उनकी करते पूरी

उनको कोई कष्ट न हो

इसलिए खुद कांटों पर चलते

माता पिता की आस भरी निगाहें

इस उम्मीद से निहारती उन्हें

जब चाहिए सहारा उनको तो

अंधे की लाठी समान

आगे बढ़कर थाम लेंगे हाथ

गिरने नही देंगे उनको

आजीवन निभायेगे साथ।

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