लाल रंग पहन कर,
भाग्य सजाया जाता है,
श्वेत रंग वही किसी का,
बैरी सा बन जाता है।
दोष है दृष्टिकोण का,
क्यूँ नारी को ठुकराया जाता है,
केवल रंग के भेद मात्र से,
व्यक्तित्व बतलाया जाता है।
विधवा हो या सधवा हो नारी,
नहीं है कभी किसी पर भारी,
जननी, देवी तब भी है वह,
ना छीनों उसकी खुशियां सारी।
पूजा पीहू