मारी जाती जो कोख मे,
वो अजन्मी बेटियां,
या फेंक देतेकचरे मे,
जन्म लेते ही जिन्हें या,
जानते ही कोख मे है एक लड़की
निर्दयतापूर्ण वह मार दी जाती।
जरा न हाथ कांपतेउनको
तनिक ना शर्म आती।
जीवन जिनको देने का जब
तुम्हे नही अधिकार कोई
तो उनकी सांसे छीन लेने का
किसने दिया अधिकार तुम्हे।
ेबन जाते होक्यो तुम,
उनके भाग्य विधाता जब,
तुमजीवन दाता बन नही सकते
सांसे उनकी छीनने से पहले,
जरा तो पूछो उस मां से,
जिसकी कोख मे वह रहती,
और बढ़ती जिसके रक्त से,
उस मां की बेबसी लाचारी,
दिखाई किसी को ना देती,
उसकी आँखो से आंसू की,
जो अविरल धारा बहती।
अगर कोख में बच गई तो,
अपनो द्वारा ही वह छली जाती है।
कदम कदम पर अग्नि परीक्षा,
उसको देनी पड़ती।
हर समय बुरी नजरों का सामना करना कर,
अपने आप में ही सिमटती है।
जिस पर भरोसा करती,
धोखा उसी से खाती है।
पैंतीस टुकड़ों में बंट कर,
वो अपनी जान गंवाती है।।
कोई भी भेड़ियाअपना बन,
प्यार का जाल बिछा ता है,
झूठे सब्ज बाग दिखाकर,
उनको बरगलाता है।
जब तक हकीकत उनकी सामने आती है,
तब तक देर इतनी हो चुकी होती है,
कि अपनी गलती की सजा वो,
जान देकर चुकाती है।
कभी खुदअपनी नस काट लेती,
कभी फंदे पर झूल जाती,
कभी दहेज की बलि वेदी मे,
आहुति उसकी दी जाती।
समाज में छिपे भेड़ियों से
जन्म से एक एक सांस को
संघर्ष वह करती है
फिर भी इज्जत से जी
कहां पाती है ।।