ये जीवन है!!
यायावरी सा जीवन है
आना और जाना है।
फिर भी गुमान बहुत है
शानो-शौकत सी जिंदगी।
मन गगनचुम्बी सा देखो
कभी यहाँ तो वहाँ घुमता।
सपने बहुत सजाकर
आंखो में भर रहा मन।
कल्पना की उड़ान ऊँची
उड़ती न थकती ।
संतोष कब हुआ था
लिप्तता ही बढ़ती जाती।
कभी जिद्द हावी होती
कभी गुरूर बढ़ता जाता।
शान्ति कहाँ से पाते
अभिलाषाऐ जाग जाती।
सबको यह पता है
जाना जहाँ से खाली।
पर संजोए जा रहे हैं
जाना है हाथ खाली।
—-‘अनिता शर्मा झाँसी
—–मौलिक रचना