आज का युवा उच्च शिक्षा प्राप्त तेज व पैने दिमाग का धनी, आधुनिक तकनीकी का ज्ञाता ,प्रतिभा संपन्न व तेज रफ्तार से दुनिया के साथ भागता हुआ युवा है ।अगर उसमें कमी है तो सिर्फ धैर्य और सहनशीलता की। त्वरित परिणाम की आकांक्षा रखना और नकारे जाने को सह ना पाना यह दो कमजोरियां उसे दिग्भ्रमित कर रही हैं ।मेहनती तो है पर परिणाम की आतुरता है ।नकारे जाने पर टूट जाता है। पाश्चात्य संस्कृति और आधुनिकीकरण में भी लिप्त है ।नौकरी न मिलने ,पर, माता-पिता  से पर्याप्त देखभाल ना मिलने पर ,प्यार में धोखा खाने पर बहुत जल्दी हताश हो जाता है और फिर नशे की अंधी दुनिया में खो जाता है। संगत के कारण, कभी एडवांस बनने की होड़ कभी पैसों की कमी तो कभी पैसों की अधिकता युवाओं को नशे के मकड़जाल में फंसाने के लिए जिम्मेदार है अभिभावकों को आधुनिकता की अंधी दौड़ में अव्वल आने का शौक है युवाओं को आवश्यकता से अधिक छूट देकर वे तो स्टेटस मेंटेन कर लेते हैं पर उनके बच्चों को ड्रग माफियाओं के शिकंजे में कब और कैसे धकेल देते हैं खुद भी नहीं समझ पाते ।नशे की लत उन्हें अपराधी बना देती है या तो वे जान ले लेते हैं या जान गवा बैठे हैं परिवार बिखर जाते हैं ।देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमें युवाओं को इस लत से बचाने के लिए आगे आना ही होगा।  
              प्रीति मनीष दुबे 
              मण्डला मप्र
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