करूँ इबादत या करूँ प्रार्थना,
मतलब दोनों के एक,
बुद्धि दे सबको और इरादे नेक,
ईश्वर की कृपा से मिली है
हम सबको जीने की आज़ादी,
रोक लो ये युद्ध का माहौल,
बच्चे डर रहें, खौफ का समां है
कैसे करेंगे जीवन यापन
ग़र युद्ध जो छिड़ गया,
क्या होगा अंजाम,
क्या निकलेगा निष्कर्ष,
अस्त व्यस्त हो जायेगा
धरतीवासियों का जनजीवन,
वीरानियों का होगा समां,
छिन जायेगा अमन और चैन,
फूटेगा ना अंकुर फिर जल्द,
कैसे बसेगा खुशहाल जहान
अनाथ बच्चों के माँ बाप की लाशों पर,
कैसे चहकेगा फिर से
अमन और शांति का चमन,
आओ मिलकर क़र ले प्रण,
नहीं छिड़ेगा फिर से रण।
निकेता पाहुजा
रुद्रपुर उत्तराखंड