पथप्रदर्शक, मार्गदर्शक.. 

कर रहे तुझको नमन्! 
हो प्रणोता ज्ञान के
 युवाओं के आधार स्तंभ! 
१२ जनवरी १८६३ को जन्मा 
इक ज्वाला प्रचंड! 
बालक बने “नरेंद्र नाथ”
गुरु राम कृष्ण परमहंस!
माता “श्रीमती भुवनेश्वरी जी”
परमधर्मगति ज्ञानी थी! 
पिता  “विश्व नाथ दत्त”
जिनकी पुत्र प्रेम में सानी थी! 
हुआ विसम संयोग प्रबल 
सान्निध्य तात का छूट गया! 
हंसता गाता बालक वो
दायित्व बोध में टूट गया! 
 अतिथि सत्कार में पारंगत
आपकी छवि अनुपम थी! 
स्वप्नदृष्टा आप ..
 किर्ति आपकी सघन विरलतम थी! 
जातिवाद को किया परे
अध्यात्म वाद में समरसता! 
मानवतावादी धारा में
रमे हुए थे , दूर किया पाश्चात्य सभ्यता! 
राजयोग, भक्तियोग, कर्मयोग के संवाहक
आध्यात्मिक गुरु आप हुए 
राम कृष्ण मिशन के संस्थापक! 
संभाषण अमेरिका में 
आपका परचम लहराया! 
“मेरे अमरिकी भाईयों बहनों “
श्रवण श्रव्य उर में छाया! 
४ जुलाई  १९०२ को डुब गया 
अस्तांचल में एक सितारा ! 
अमर हुआ जन के मन में 
पर हिम्मत कभी न हारा! 
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