यह तन सच में वतन के, काम में जब आये।
अमर सच में यह तन , इस जगत में कहलाये।।
यह तन वतन के—————–।।
मन मैला ,तन उजला हो, बात यह अच्छी नहीं।
तन मैला ,मन पापी हो , यह भी बात अच्छी नहीं।।
तन से सभी का हो भला, परोपकारी तन कहलाये।
अमर सच में यह तन, इस जगत में कहलाये।।
यह तन सच में वतन ————————–।।
मानव तन को पाने वाले, बहुत नसीब वाले हैं।
देखो दशा उन पशुओं की, जो नहीं बुद्धि वाले हैं।।
सबको खुशी हमसे मिले, सुंदर तन यह कहलाये।
अमर सच में यह तन,इस जगत में कहलाये।।
यह तन सच में वतन——————।।
तन से अगर हो बलशाली, मत भूलो दया करना।
मत फैलाओ दशहतगर्दी, रक्षा वतन की करना।।
कुर्बान वतन पर हो जाये, यह तन शहीद कहलाये।
अमर सच में यह तन, इस जगत में कहलाये।।
यह तन सच में वतन—————–।।
साहित्यकार एवं शिक्षक- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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