मै माँ के लिए क्या लिखूँ

जो स्वयं ही सृष्टि की रचनाकार है
जिसके आगे तीन लोक के देवता भी नतमस्तक करते है
उस जननी को नित्य, मै बारम्बार करती प्रणाम हूँ।
मै माँ के लिए क्या लिखूँ
जिन्होंने मुझे अपने रक्त से सींचा
मुझे जीवन दान दिया
खुद तकलीफ में रहकर, मुझे ममता की छाँव दिया
मैं माँ के लिए क्या लिखूँ
ममता की मूरत,स्नेहमयी सूरत
माँ ने आरंभ से लेकर अंत तक 
अपना सर्वस्व मुझपर न्यौछावर किया
मै माँ के लिए क्या लिखूँ
अब दूर नभ में रहती हैं
जब – जब  तुम्हें पुकारा माँ
बनकर मेरी शक्ति आपने मुझे राह दिखाया।
मैं माँ के लिए क्या लिखूँ
जितना भी लिखूँ कम ही होगा
मेरी अल्फाजों और स्याह में भी न इतना दम होगा
माँ का प्यार, स्नेह, दुलार, आशीष 
सदैव अपने बच्चों के प्रति
अतुलनीय, अवर्णनीय, अनंत और असीम होता है
जिसका आभास हर बच्चें को
जीवन के हर मोड़ पर होता है
शिल्पा मोदी✍️✍️
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