बड़े चाव से सारी दुनिया खाती है,
न मिलने पर खूब ललचाती है,
लम्बी लम्बी, पीली पीली खुद मे खुद से उलझी हुई,
थोड़ा पानी, थोड़ा मसाला, थोड़ा आंच,
और थोड़े समय मे तैयार ,
मियां बिवी लेट से आऐ घर को,
तो कर ली मैगी तैयार झटपट,
घर मे भले ही कम हो स्टाक हर चीज का,
पर मैगी हो भरपूर,
सबको खिंचे अपनी तरफ, खुशबू इसकी इतनी अच्छी,
बच्चे, बड़े, बुढे़ सब इसके प्यार मे पड़े,
अबला लड़कों के भुख के लिए है ढाल,
कौन बनाऐ इस के आगे चावल दाल,
टे़ढी मेढी़ सुखी गीली कैसी भी बने,
पर देती भर पुर स्वाद,
खाने मे लजीज है, सबके दिलों को अजीज है l
सबके दिल की रानी है,
पूरी दुनिया मैगी की दिवानी हैll
प्रिती उपाध्याय@