मैं हूँ एक छोटा छाता
काम आता हू तो सब को भाता
हर रंग का मै मिल जाता
बारिश से भी सब को बचाता
खुद गिला होकर तुझे भीगनें से बचाता
ओले भी गिरते तो चोट खुद ही खा लेता
जब पडती बारिश की बूदें मुझपर तो उनके साथ
मैं भी शोर मचाता
बंद कर दो तो छड़ी के काम आता
धुप से भी मै बचाता
रख लो रोज मुझे अपने साथ
कुछ देर के लिए सही पर तुम्हारे काम तो आता
पल भर के लिए ही तुम्हारी छत भी बन जाता
सोचो तो कितना काम हू आता
मैं हूँ एक छोटा सा छाता ।।