मैं और तुम,
मिल गए तो हो गए हम,
मेरे जीवन का तुम आधार हो,
हूं मैं काया,तो तुम छाया हो,
मैं नदी की  एक धारा हूं, उस धारा में बहते हुई तुम एक नाव हो,
हूं मैं तपती गर्मी, तुम शाम की ठंडी हवा हो,
मैं कोमल सी एक फूल, तुम महकती खुशबू हो,
मैं रात की घनी अंधियारी तुम खुबसूरत सा चांद हो,
तुम्हारे साथ हर मौसम सुहाने  लगते  है,
तुम्हारे रूठ जाने से होली के रंग भी फीके लगते हैं,
जब मना लूं तुम्हे लगता है बहुत कुछ जीत ली,
तुम्हारे साथ हम जहां की खुशियां पातें  हैं,
तुम्हारा साथ हो तो मंजिल कितनी भी दूर हो पता नहीं चलता,
तुम्हारे साथ चलते चलते लंबे सफ़र भी कम लगते हैं,
तुम्हारे पास हम खुद को बड़ा महफूज़ सोचते हैं,
हम ठहरे खुशनसीब इंसान और वजह तुमको मानते हैं,
तुम्हारे बिना कुछ भी कभी सोच नहीं पाती हूं,
कभी रूठ जाऊं तुमसे तो खुद ही रो पड़ती हूं,
मेरे सागर जैसे दिल में तुम एक छोटा सा द्वीप हो,
तुम्हारे साथ वहां एक खूबसूरत घर बसाना चाहती हूं,
मैं तनाव,तुम राहत की वो सांस हो,
मैं स्वादिष्ट एक पकवान,तुम उसमें नमक हो,
मैं चलूं जिन राहों पे, उसके पास तुम वो बड़ा सा पेड़ हो,
मैं जिस्म तुम मेरी रूह हो,
मैं बांसुरी तुम सुमधुर एक तान हो,
खुदा से दुआ करती हूं
चाहे मुझे कुछ दे या न दे,
पर मरते दम तक तेरा साथ बनाए रखें,
कभी अगर तुझ से दूर जाना पड़े मुझे,
तो वो मेरी जिंदगी की आखरी दिन बनें……
ज्योति महापात्र
खोरधा, ओडिशा
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