मैं
और
तुम
और कुछ
अनकही बातें
बस…..
गुजर जाएगी
एक और बासंती शाम
डाल हाथों में हाथ
निहारते लहरें नदी की।
खग-विहग के कलरव
में ,बस……
गुजर जाएगी
एक और केसरिया शाम।
मैं
और
तुम
और
कुछ अधूरे ख्वाब
होगें पूरे जब
हर कदम
साथ चलते रहें
मैं
और
तुम
साथ रहें
बस हर पल
हर दिन
हर वर्ष
हर जन्म
बस…….।
गरिमा राकेश ‘गर्विता ,गौत्तम
कोटा राजस्थान