मैं इंतजार कर रहा हूं उस दिन का 
जिस दिन लोग इतने परिपक्व हों 
कि वे जाति, धर्म से ऊपर उठकर 
मुफ्त के माल के प्रलोभन से बचकर
“रंगे सियारों” को सही से पहचान कर 
क्षेत्रीयवाद, भाषा के विवाद से बचकर
केवल राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर 
संविधान की खातिर वोट देने जाएंगे । 
भ्रष्ट नेताओं को दौड़ा दौड़ाकर पीटेंगे 
झूठे, बेईमान, मक्कारों की कब्र खोदकर 
ईमानदार नेताओं को चुनकर भेजेंगे 
सही मायने में लोकतंत्र उस दिन आयेगा 
और उस दिन से राम राज्य कहलायेगा ।
मैं इंतजार कर रहा हूं उस दिन का 
जब अदालतों से तारीख नहीं न्याय मिलेगा 
पुलिस अपराधियों, गुंडों, मवालियों के बजाय 
पीड़ितों , शोषितों के लिये काम करेगी 
सरकारी कार्यालयों में बाबू, अधिकारी
बिना “नजराना” के भी काम करेंगे 
चिकित्सकों में संवेदनशीलता पैदा होगी
मरीजों को इंसान समझकर इलाज होगा 
शिक्षा रोजगार दिलाने वाली होगी 
किसान , मजदूर चैन की नींद सो सकेंगे 
गरीब अपने बच्चों का पेट भर सकेंगे 
बेटियां घर और बाहर सुरक्षित रहेंगी 
परिवारों में प्रेम की गंगा फिर से बहेगी 
“हैवानियत का रावण” सचमुच जल जायेगा 
हर आदमी के अंदर का इंसान जाग जायेगा 
जिस दिन यह सब हो जायेगा 
उस दिन यह देश स्वर्ग बन जायेगा । 
मैं निराशावादी नहीं , घोर आशावादी हूं 
आशा और विश्वास पर ही तो दुनिया टिकी है 
जिस दिन लालच का पर्दा फटेगा 
माया मोह का तिलस्म छंटेगा 
“काम” का आवेग शांत होगा 
क्रोध का नामोनिशान ना होगा 
उस दिन इंसान सुखी हो जायेगा 
वह दिन कभी तो आयेगा । 
मैं इंतजार कर रहा हूं उस दिन का । 
हरिशंकर गोयल “हरि”
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