मेरी चूड़ी, बिंदी, सिंदूर में ही बस तुम नजर न आना ।
मेरे जीवन साथी हर मुश्किल में साथ निभाना ।
जब माहवारी की पीड़ा में मैं तड़प उठूंगी रात रात भर ।
मेरी हिम्मत तुम बन जाना ,सहज मुझे महसूस कराना ।
मेरे जीवनसाथी………
छोड़ के घर अपना आई हूं, तेरे घर को अपनाया है ।
तुम जैसा बनते बनते थोड़ा वक्त लगे तो, मुझ पर न झुंझलाना ।
मेरे जीवनसाथी……..
स्वप्न बहुत हैं मेरे अधूरे, तुमको खबर मिली होगी ।
कभी करो जब उनको पूरे, एहसान नहीं जताना ।
मेरे जीवनसाथी…………
मैं तुझमें वह साथी ढूंढ रही हूं , भेद जिसे मैं बता सकूं ।
भेद खोल दूं जब अपने तब, शासक मत बन जाना ।
मेरे जीवनसाथी……….
नहीं मांगती हीरे मोती, न गहनों का शौक मुझे ।
बस मान मेरा तुम रख लेना , अपमानित न कर जाना ।
मेरे जीवनसाथी……………
स्वरचित :
पिंकी मिश्रा भागलपुर बिहार ।