ममता की मूरत मां होती खूबसूरत मां
आंचल की छांव तेरी हर बला टालती
करती खूब प्यार मां मधुरम दुलार मां
ममता के मोती सारे मुझ पर वारती
तुम्ही हो सारे तीर्थ मा जग के सारे धाम मां
सुंदर सा जीवन मेरा भाग्य संवारती
मैं तेरी आंखों का तारा रखती खयाल सारा
अंगुली पकड़कर मेरी मां निहारती
कोई नहीं है मां जैसा चरणों में स्वर्ग ऐसा
प्यार के मोती लुटाए मां ही पुचकारती
प्रथम गुरु हो तुम वंदनीय मां हो तुम
शिक्षा संस्कार देकर जीवन संवारती
अपार आशीष देती बाधाओं से भीड़ लेती
संकटों से बचाकर लाल को दुलारती
मार्गदर्शक होती मां जीवन दर्शन होती
अनुभवों का खजाना खोल खूब वारती
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान