रितु की सारी उम्मीद टूट चुकी थी,अकेली हो गई थी,कोई भी रिश्तेदार कितने दिन आपकी मदद कर सकता है, नमित को अब उसकी और बिटिया की कोई फिक्र ही नहीं थी,व्यवसाय चल निकला था,वह उसी में व्यस्त रहता।
रितु कुछ कहती भी,तो जवाब होता तुम पढ़ी लिखी हो,ड्राइव कर सकती हो,पैसा है जाकर रिया को दिखाओ, मैं काम करूं कि, तुम्हारी राम कहानी सुनूं,मेरे पास समय नहीं है।
रितु आहत होती ,जाकर भगवान के पास रोती,फिर सारी ऊर्जा इकट्ठी कर , उस मासूम का मुंह देखती और उसकी परवरिश में लग जाती।
रिया बड़ी हो रही थी ,लेकिन वह ठीक से न बोल पाती ,न चल पाती और दैनिक क्रिया का भी कोई समय नहीं था ,इसलिए रितु को उसके बस चेहरे के भाव देख कर ही अंदाज लगाना होता था।
उसने फिजियोथैरेपिस्ट की सहायता ली।पैर ,हाथ की मालिश करती, उसकी मांसपेशियां कड़ी रहती जिससे उठाने बैठाने में दिक्कत होती।स्पीचथेरेपिस्ट के पास गई लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ ।
जब रितु थोड़ी देर के लिए रिया को आया के सुपुर्द कर कहीं चली जाती  तो उसके आते ही रिया उसके सीने से चिपक जाती।अगाध प्रेम था मासूम रिया का रितु के लिए । रितु सब परेशानी भूल रिया को चिपका लेती उसका सारा प्यार रिया के लिए उमड़ पड़ता।
रितु को पता चला कि दिल्ली में किसी संस्था द्वारा हाइपोबेरिक थेरेपी दी जाती है,जिसमें ऐसे बच्चों को ऑक्सीजन चैंबर में रखा जाता है ,जिससे उनके मस्तिष्क में ऑक्सीजन सप्लाई पूरी जाए और तो सेल्स मर चुके हैं वे पुनः बन सकें।
रितु  अपनी मां के साथ रिया को लेकर दिल्ली गई ,लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लगी,और उन्हें कोई सफलता नहीं मिली, वे वापस आ गईं।
हताशा और निराशा के गहरे समंदर में रितु हिचकोले ले रही थी,रिया के स्वास्थ्य में कोई परिवर्तन नहीं होने का दुख ,और उधर नमित का गैर जिम्मेदाराना रवैया अंदर से उसे तोड़ रहा था ,बस रिया की प्यारी सी मुस्कुराहट ही उसके जीने का हौसला थी।
आया की मदद से रितु ,रिया का काम करती ।अब उसने परिस्थितियों से समझौता करना सीख लिया था । वह उसके साथ खेलती, प्यार करती ,सारी दुनिया सिमट चुकी थी , रितु के रिया के आस पास।
मैडम, नमित सर का बैग पैक कर दीजिए ,सर को बिजनेस टूर पर निकलना है,उन्होंने अपना सामान मंगाया है_नमित के ड्राइवर ने आकर कहा।
ठीक है ,कितने दिन का टूर है ?_रितु ने पूछा।
जी 4 दिन का _ ड्राइवर ने बताया।
रितु नमित का बैग पैक करने लगी,अभी तक नमित कहीं जाता तो अपना बैग खुद पैक करता।
कपड़े भी लॉन्ड्री में जाते ,रितु को रिया के कामों से फुरसत ही नहीं रहती ,और जब मिलती तो पूरी तरह थक जाती, कि उसके पीठ पीछे घर  में क्या हो रहा ,उसे अंदाज ही नहीं रहा।
बैग पैक करते ,उसमें कुछ होटल की रसीद मिली ,जिसमें मिस्टर और मिसेज नमित का नाम लिखा था। इससे पहले भी उसने मोबाइल पर रात को किसी के साथ नमित को चैटिंग करते सुना था,पूछा तो कह कर टाल गया कि उसके किसी दोस्त का है ,उसे नींद नहीं आ रही थी इसलिए उसने फोन मिला दिया।
अब तो रितु का दिमाग भन्न्ना गया ,वो तो रिया के जन्म के बाद कभी नमित के साथ कहीं गई ही नहीं,तो फिर ये मिसेज नमित कौन है?
रितु ने चुपचाप से बैग पैक कर ड्राइवर को दे दिया। 
कुछ देर बाद नमित का फोन आ गया_सॉरी , रितु अचानक दुबई में हमारी एक क्लाइंट से मीटिंग अरेंज हो गई ,जाना पड़ेगा।फ्लाइट का समय होने वाला था इसलिए घर नहीं आ सका,रिया को मेरा प्यार।
रितु चुपचाप सुनती रही,कुछ बोली नहीं।
दोपहर को रितु , नमित के ऑफिस पहुंची। रितु और नमित का दोस्त मानस भी कंपनी का को_फाउंडर था, नमित के नहीं रहने पर वही कंपनी देखता था। 
रितु को देख पूरा स्टाफ सकते में आ गया।
रितु सबसे प्यार से मिली और फिर मानस के केबिन में जाकर बैठ गई।
मानस अचंभित था ,उसने पूछा कैसी हो रितु ?तुम्हारी तबियत कैसी है?
रितु ने कहा _मानस मैं तुमसे बहुत नाराज हूं,तुम शादी के बाद कभी मुझसे मिलने नहीं आए?
और मेरी तबियत को क्या हुआ? मैं तो ठीक हूं।
पर नमित ने बताया था कि तुम डिप्रेशन में हो तुम्हारा इलाज चल रहा,किसी को अपने घर आने नहीं देती , नमित को भी मार देती हो।
क्या….?मजाक कर रहे हो।
ये सब किसने बताया_रितु ने हंसते हुए कहा।
नमित ने_मानस ने स्पष्ट किया।
क्या बात कर रहे हो , मैं तो रिया को लेकर  इतने सालों से लेकर परेशान थी।
उसने गौर किया था  कि ,उसके आते ही स्टाफ आपस में कानाफूसी कर रहे थे।
मानस से आश्चर्य से पूछा _तो तुम ठीक हो? नमित ने यही बताया था कि रिया के जन्म के बाद से तुमने नौकरी छोड़ दी और डिप्रेशन में चली गई हो।
पर मानस……रिया की कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
नमित का कोई चक्कर चल रहा है क्या? रितु ने एक सीधा सवाल पूछा तो मानस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी।
नहीं ….,नहीं तो ,तुमसे किसने कहा?
मानस ने फिर खुद को संयत करते हुए कहा_रितु अभी घर जाओ , मैं तुमसे मिलने घर आता हूं।
क्रमशः
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