मेरा शहर केवल मेरा नहीं अब ये तुम्हारा भी है।
इसलिए क्योंकि अबतो तुमपे हक हमारा भी है।
मानता हूँ कभी ये हंसी शहर केवल मेरा ही था।
हम मिले न थे जबतक तभीतक तो वो मेरा था।
मिलेहैं जबसे हम और ये आँखें हमारी चार हुई।
दो दिलों में एक दूसरे से मुहब्बत और प्यार हुई।
इश्क के सफर का जिंदगी में वह मुकाम आया।
कई शहर आए गए मेरा ही ये शहर काम आया।
मेरा शहर मेरी बस्ती ये मेरे ही तरह खूबसूरत है।
मेरे जीवन में आ बन गई मेरी तू एक जरूरत है।
तेरा शहर अब  मेरे शहर के आगे फीका लगता।
मेरा शहर रामायण बाइबल कुरान गीता लगता।
खुशी है इस बात की हमें भी हैं पहचानने वाले।
विश्वास किया मुझपे तुम्हें कर दिया मेरे हवाले।
तेरे आने से मेरे शहर में ये रौनक और है आयी।
मेरी है बात अलग परिंदों में भी है खुशी छायी।
मेरे शहर में ये चैनों अमन है और भाई चारा है।
इसलिए मुझे और शहरों से मेरा शहर प्यारा है।
हमारे शहर में है गंगा जमुनी तहजीब भरी हुई।
आपसी प्रेम मुहब्बत सौहार्द्र जज्बात भरी हुई।
मेरे शहर का मैं ही नहीं हर कोई एक दीवाना।
मैं तो हूँ तेरा यार तेरा दीवाना दीवाना दीवाना।
देखो न कहीं यार कभी मुझको ही भुला देना।
तेरे शहर का मैं एक मुसाफिर हूँ न भुला देना।
मेरे शहर और तेरे शहर के बीच एक रिश्ता है।
2पाक साफ दामन के मधुर प्रेम का रिश्ता है।
हम मिले ना थे जब तभी तक वो तुम्हारा था।
अब वो शहर हमारा भी तो है जो तुम्हारा था।
मैं तो हुआ यार तेरा दीवाना  दीवाना दीवाना।
तेरे बस्ती तेरे मुहल्ले तेरे घर का एक दीवाना।
रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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