“अंकुर अब मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ बनने वाली हूँ। और तुम आही नहीं रहे हो। मेरा क्या होगा ? मुझे बहुत डर लग रहा है । तुम कब आओगे ? ” रचना ने अंकुर को फौन पर बताया।
रचना अब तुम चिन्ता क्यौ कर रही हो अगले महीने तो हमारी शादी हो ही जायेगी। अब चिन्ता करने की कोई बात नही है। मैने अपनी छुट्टियौ की एप्लीकेशन भी देदी है वह जल्दी ही मन्जूर होकर आजायेगी। अब तुम बिल्कुल फिकर मत करना। और मै अपनी मम्मी को भी खत लिखकर बतादूँगा। वह तुमसे मिलकर किसी अच्छे डाक्टर को दिखादेगी। ऐसी बात मै मम्मी को फौन पर नही बता सकूँगा। ” अंकुर ने इतना कहकर फौन रख दिया।
आज अंकुर बहुत खुश था उसने यह बात गाँव मे रहने वाले अपने चाचा के लड़के को बतादी और उसको मम्मी से बात करने के लिए बोला।
अंकुर ने रचना के माँ बनने की खबर के लिए एक खत अवश्य माँ को भेज दिया था।
खत पहुँचने में तो सात आठ दिन का समय लग ही जाता है और फिर अंकुर के गाँव में पोस्ट आफिस भी नहीं था। उसके गाँव में डाक भी लेट बितरित की जाती थी।
उसी समय अंकुर की ड्यूटी जम्मु कश्मीर मे पाकिस्तान बार्डर पर लगी हुई थी । यह 2002 -03 की बात है । उस समय अंकुर के कैम्प पर कुछ आतंकवादियौ ने हमला कर दिया उस हमले में उनसे मुकाबला करते हुए अंकुर शहीद होगया। जब यह खबर अंकुर के गाँव पहुँची जिससे उसके घर शादी की खुशियौ की जगह मातम छा गया। उधर जब यह खबर रचना ने सूनी तब तो उसका तो हिल बहुत बुरा होगया। अब वह अपने माँ होने की बात किसी को बता भी नही सकती थी। जो भी इसे सुनेगा वह रचना का ही दोष बतायेगा कि उसे क्वारी माँ बनने की ऐसी क्या जल्दी थी। रचना का रो रोकर बुरा हाल था। उसने अपने माँ बनने की खबर अपनी माँ को भी अभी तक नहीं बताई थी।
तीसरे दिन अंकुर का पार्थिव शरीर उसके गाँव आया । रचना के मम्मी पापा भी जारहे थे तब रचना बोली ,” पापा मै भी आपके साथ चलूँगी। जब वह ज्यादा जिद करने लगी तब उसके पापा उसकी मम्मी को एकांत में लेजाकर समझाते हुए बोले,” तुम अपनी बेटी को समझाओ वह अब वहाँ जाकर क्या करेगी ? अब वहाँ उसको नहीं जाना चाहिए औरतै हजार तरह की बातै करैगी हम किस किसका मुँह बन्द करैगे। “
उसकी माँ ने बहुत समझाया परन्तु उसकी माँ उसकी सच्चाई का नहीं पता था कि वह अंकुर के बच्चे की माँ बनने वाली है।
रचना के बारम्बार कहने पर वह आखिर में उसे लेजाने को तैयार होगये। वहाँ पर सब की आँखें नम थी। सबकी जुवान पर अंकुर की बीरता का नाम था। सभी लोग अंकुर की जय जयकार कर रहे थे।
रचना भी अपना दर्द छिपाकर रोने की कोशिश कर रही थी परन्तु उसकी आँखें केवल उसके तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर को देखे जारही थी।
रचना ने उसके शरीर के पास जाकर प्रतिज्ञा ली कि ” वह इस बच्चे को जन्म देगी और वह इसे भारतीय सैना का वीर बनायेगी। इसके लिए किसी से भी लड़ना पडे़ लेकिन वह पीछे नही हटेगी। वह इसे सैना में भर्ती करायेगी। “
अंकुर का पार्थिव शरीर का सैना के जवानौ की देखरेख में अंतिम संस्कार कर दिया गया। चारौ तरफ से अंकुर के लिए नारे लग रहे थे जबतक सूरज चाँद रहेगा अंकुर तेरा नाम रहेगा। बंदे मातरम् भारत माता की जय ।
अंकुर की माँ बुरी रो रही थी। परन्तु उसके पापा का सीना गर्व से तन रहा था मानो वह कहरहे हौ कि यदि मेरे एक और बेटा होता तब मै उसे सैना मे ही भर्ती करवाता।
रचना भी अपने दर्द को अपने आन्दर छिपाकर अपने घर बापिस आगयी।
अभी इस घटना को घटे दो दिन ही हुए थे कि रचना की माँ अपने पति से बोली,” अब रचना के लिए कोई और लड़का देखना होगा। अब हमें देर नहीं करनी चाहिए पहले ही बहुत बदनामी हो रही है कि रचना अंकुर को खा गयी। “
उसके पापा बोले,” बात चलाता हूँ।ज्यादा जल्दी करना भी ठीक नही है अंकुर के परिवार वाले क्या सोचेगे ? “
उन दोंनौ की बातचीत रचना ने सुनली वह अपनी माँ से बोली,” माँ मुझे नही करनी शादी ।मेरी तकदीर में शादी का सुख नही लिखा यदि शादी का सुख होता तो अंकुर ही बीच में क्यौ धोखा दे जाता। आप पापा को समझा देना मै अब शादी नहीं करूँगी। यह मेरा आखिरी फैसला है।
जब उसकी मम्मी उसे समझाने लगी तब उसने अपनी मम्मी को अपनी माँ बनने वाली बात बतादी।
इसको सुनकर उसकी मम्मी की चिन्ता तो और अधिक बढ़ गयी। व उन्हौने यह बातजब अपने पति को बताई तब ऊनको बहुत गुस्सा आया और उन्होंने बच्चा गिरवाने के लिए बोला।
परन्तु रचना इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी।उसकी जिद से उनकी चिन्ता बहुत बढ़ गयी।
रचना को उसके पापा ने उसकी बदनामी का डर भी दिखाया और भी समझाया कि तुझे व तेरे बच्चे को कोई स्वीकार नही करेगा। यह समाज उसको क्या क्या नाम देगा । तू यह सब सहन नही कर सकेगी।।
इन बातौ से वह डर गयी और इबार्शन करवाने के लिए तैयार होगयी।
उसी समय अंकुर का खत उसके घर पहुँच गया। जिसे पढ़कर उसके मम्मी पापा बहुत खुश हुऐ कि कम से कम उनका वंश तो चल जायेगा।
अंकुर के मम्मी पापा सब कुछ छोड़कर रचना के गाँव पहु़चे और उसके पापा से बोले,” हम रचना को लेने आये है हमें सब मालूम होगया है आज ही अंकुर का खत आया है। यदि आप लोग तैयार हो तो हम रचना को बहू बनाकर रखना चाहते है यदि हमारे कोई दूसरा बेटा होता तो हम उसके साथ रचना की शादी कर लेते। “
जब रचना को यह बात मालूम हुई तब वह खुशी से उनके साथ चलने को तैयार होगयी। उसे तो इसी सहारे की जरूरत थी। अंकुर के मम्मी पापा ने उसे अपनी बहू माना और उसपर कोई दोष नही लगाया। उनका कहना था रचना हम तेरे ऋणी है जो तूने हमे हमारे पोते आथवा पोती को बचाकर रखा है।
इसके बाद उसने एक बेटे को जन्म दिया। रचना ने उसका नाम विक्रम रखा । उसने उसका पालन पोषण बहुत चाव से किया।। आज वह अठारह बर्ष का जवान है और सरकार ने अग्नि बीरौ की भर्ती का ऐलान कर दिया है।
अब रचना ने भी अपने बेटे विक्रम को अग्निवीर बनाने हेतु भरती करवा दिया है। आज रचना का सपना पूरा होगया है उसने विक्रम को सेना में भेजने और अपने पापा का बदला लेने हेतु इतना त्याग किया था।
इस तरह का वलिदान करने वाली बहुत ही कम मिलती है