नफरत की इस आग को, दिल से मिटाओ तुम।
मुहब्बत करो सबको,गले सबको लगाओ तुम।।
नफरत की इस आग को———-।।
लड़ने से इस तरहां, खून अपना ही बहेगा।
इस देश के दुश्मन को , अवसर ही मिलेगा।।
लूटेगा वह चमन को, वतन बर्बाद ही होगा।
मत तोड़ो दोस्ती को, गुस्सा अपना मिटाओ तुम।
नफरत की इस आग को———–।।
यह देखिये तस्वीर , यह अपना है हिंदुस्तान।
यह सन्तों की है जननी, यह वीरों की है खान।।
सोचो नसीब अपना , कितना है सच महान।
सपूतों की कुर्बानी पे, मत दाग लगाओ तुम।।
नफरत की इस आग को———-।।
मिली है आजादी तो, उसका अर्थ भी समझे।
हकदार है हक के मगर, हम फर्ज भी समझे ।।
खाते हैं हम जिसका, उसका अहसान भी समझे।
करो सलाम तिरंगे को, इसका गर्व बढ़ाओ तुम।।
नफरत की इस आग को———–।।
रचनाकार एवं लेखक- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद 
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