इस जहाँ में कहाँ हमेशा रहने वाला हूँ ,
कर लूं वही जिससे सुकूं पाता हूँ ।
बाँट लू मोहब्बतें ,है यही हसरतें,
बाद अपने मै,अपने निशान छोड़ जाना चाहता हूँ।
क्या करूँ धन दौलत इकट्ठा करके ,
जब सब कुछ छोड़ जाने वाला हूँ ।
मुसाफिर हूँ यारों ,ज़िदगी के सफर का ,
अपने कर्मों को लेकर लौट जाने वाला हूँ ।
हुमा अंसारी