क्यों मैं किसलिए ,इस तरहां चला जा रहा हूँ।
मुझे क्या पाना है ऐसा, जिसे मैं तलाश रहा हूँ।।
क्यों मैं किसलिए—————।।
वक़्त की चाल से भी, इतना दूर आ गया हूँ मैं।
छोड़कर अपना घर, इस शहर आ गया हूँ मैं।।
किस मंजिल के लिए, कोशिश यहाँ कर रहा हूँ।
मुझे क्या पाना है ऐसा, जिसे मैं तलाश रहा हूँ।।
क्यों मैं किसलिए———–।।
याद क्यों आती नहीं अब, वह माँ की लौरियां।
गांव के किसी पर्व पर, गीत गाती वह गौरिया।।
अपने बचपन का वह प्यार, क्यों भूल रहा हूँ।
मुझे क्या पाना है ऐसा, जिसे मैं तलाश रहा हूँ।।
क्यों मैं किसलिए—————।।
किससे है मेरा मुकाबला, जिसको हराना है मुझको।
किसने तोड़ा है मेरा दिल, जिसको रुलाना है मुझको।।
किसका सिर झुकाने के लिए, पसीना यह बहा रहा हूँ।
मुझे क्या पाना है ऐसा, जिसे मैं तलाश रहा हूँ।।
क्यों मैं किसलिए—————।।
रचनाकार एवं लेखक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद