जी हाँ, मैं नहीं चाहता कि,
बिगड़ जाये तुम्हारा काम,
मेरी दर्द भरी कहानी से,
अभी मैं ठीक नहीं हूँ,
मुझको मत बुलाइये।
आप नामवर हो जहां में,
आपकी शौहरत है जहां में,
आप हाकिम है साहेब,
मखमल बिछा है आपके चरणों में,
गन्दा हो जायेगा मेरे कदमों से,
मुझको मत बुलाइये।
बहुत गन्दा है मेरा धंधा,
मलिन बस्ती में रहता हूँ मैं,
आश्रित हूँ मैं भीख पर,
बिल्कुल अनपढ़ हूँ मै,
बोल नहीं पाऊंगा अच्छी भाषा,
आप इज्जतदार है,
मुझको मत बुलाइये।
कोई नहीं मेरा रखवाला,
नहीं है कोई मेरा भविष्य,
पल-पल में बदलता रहता हूँ मैं,
अपना रूप और जुबान,
नहीं निभा पाऊंगा,
मैं अपना वचन आपसे,
क्योंकि मैं गरीब और पिछड़ा हूँ,
मुझको मत बुलाइये।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)