मुझको जीना और मरना है ,तेरे लिए ही मेरे वतन।
तू ही है मेरा ख्वाब- रब , चलना है मुझे तेरी राह वतन।।
मुझको जीना और मरना———-।।
तेरी बदनामी तेरी बर्बादी , पसन्द नहीं है मुझको।
तुझसे गद्दारी,तुझसे चालाकी, पसन्द नहीं है मुझको।।
ऐसे गद्दारों-लुटेरों से , मुझको लड़ना है मेरे वतन।
तू ही है मेरा ख्वाब- रब , चलना है मुझे तेरी राह वतन।।
मुझको जीना और मरना———-।।
करता हूँ तेरी पूजा और तुझपे अभिमान मैं सदा।
हर महफ़िल हर मजलिस में ,गाता हूँ गीत तेरे सदा।।
कहता हूँ खुद को खुशनसीब, तुझपे जो लिया जन्म मैंने वतन।
तू ही है मेरा ख्वाब- रब , चलना है मुझे तेरी राह वतन।।
मुझको जीना और मरना———-।।
नहीं होने दूंगा मान मैं कम, उन वीर – शहीदों का कभी।
बलिदान हुए जो तेरे लिए, लुटा दिया जिन्होंने तुझपे सभी।।
उनकी निशानी यह तिरंगा, नहीं झुकने दूंगा इसको वतन।
तू ही है मेरा ख्वाब- रब , चलना है मुझे तेरी राह वतन।।
मुझको जीना और मरना———-।।
रचनाकार एवं लेखक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)