मुंह में राम बगल में छूरी
दोनो बचपन के मित्र थे ।साथ ही रहते थे।एक दूसरे को बेहद चाहते थे।लोग सूरज और चंदर की दोस्ती की दुहाई देते थे।कहते थे दोस्ती हो तो सूरज और चंदर जैसी ।समय बीता दोनों अपने अपने व्यापार व्यवसाय में लग गए। सूरज की दोस्ती प्रकाश से हो गई।वह देखता कि सूरज, चंदर के बिना नही रह सकता।उसके सामने सूरज रोज़ चंदर की तारीफ करता रहता।यह बात सूरज को खटकने लगी। उसने तरकीब सोची कि इन दोनों में बैर कैसे हो ।प्रकाश,सूरज एक दिन बोला – चंदर तो तुमसे बहुत नाराज़ था। सूरज नहीं नहीं वह मुझसे नाराज़ नहीं हो सकता। अरे हां वह एक व्यापारी से तुम्हारी बुराई कर रहा था खैर मुझे क्या करना।तुम तो मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो। इस प्रकार रोज वह दोनों से अलग अलग मिलता और उनकी बातें करता ।
बाजार में प्रकाश चंदर से मिला -अरे चंदर सूरज तो कल तुम्हारे बारे में आड़ी टेड़ी बातें कर रहा था।खेर मुझे क्या करना । तुम्हारी दोस्ती तुम्हें मुबारक।
शाम को सूरज ने चंदर को देखा तो चंदर ने मुंह घुमा लिया।सूरज समझ गया कि प्रकाश ने सही बात कही ।उसने भी मुंह घुमा लिया।चंदर ने भी सोचा कि बिल्कुल प्रकाश ने सही कहा है।
नहीं तो सूरज दौड़कर मेरे गले लगता था।आज वह बात कहां।
अब दोनों के रास्ते अलग हो गए।प्रकाश को जब सूरज से बात मालूम हुई कि चंदर ने उसकी ओर देखा भी नहीं ओर अब वे दोनों नहीं मिलेंगे,तो उसकी कामयाबी पर वह बहुत खुश हुआ।
आजकल ऐसे ही दोस्तों की बहुतायत हो गई है। दोस्ती का संबंध स्वार्थ में बदल चुका है। प्रकाश ने सूरज-चंदर की दोस्ती को ग्रहण लगा दिया। बचपन की दोस्ती को पल भर में खत्म कर दिया।इसे कहते है मुख में राम बगल में छूरी।
राजेंद्र सिंह झाला
उ.श्रे.शि.
बाग जिला धार मप्र

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