मोबाइल एक ऐसा जटिल मायाजाल है कि एक बार जो इसमें फंस गया वो बाहर नहीं निकल पाता। इसने बच्चे, बूढ़े और जवान सभी को अपनी गिरफ्त में ले रखा है। 
ये कहानी है आदया की, जिसने दस साल की उम्र में ही अपनी मां को खो दिया था। उस समय आदया का छोटा भाई देवांश पांच साल का था। उनके पिता एक फैक्टरी में काम करते थे। मां के मरने के बाद सारे घर की ज़िम्मेदारी एक तरह से आदया पर ही आ गई। पर उसने भी उसका बहुत हिम्मत और दृढ़ता से सामना किया। 
अपने भाई की देखभाल मां की ही तरह की। उसे नहलाना, खाना खिलाना, कपड़े पहनाना, पढ़ाई करवाना, सब आदया ने संभाल रखा था। उसका भाई देवांश भी सारा दिन दीदी-दीदी करता उसके पीछे घूमता रहता था। 
इन सब ज़िम्मेदारियों के साथ ही आदया ने अपनी पढ़ाई-लिखाई पर भी पूरा ध्यान दिया। वह हमेशा अपनी कक्षा में अव्वल आती थी। उसके पिता को उसपर बहुत गर्व था। पर उन्हें साथ ही इस बात का मलाल रहता था कि वो अपने बच्चों को सुख-सुविधाएं नहीं दे पा रहे।
देखते ही देखते आदया के नवीं कक्षा का और देवांश के चौथी कक्षा का परिणाम आ गया। दोनों ही अपनी कक्षा में अव्वल आए। आदया की अध्यापिका ने उसकी बहुत तारीफ की। आदया उनके विद्यालय की होनहार छात्रों में से थी। इसलिए विद्यालय ने उसे दसवीं से बारहवीं कक्षा तक पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप प्रदान की। बस शर्त यह थी कि आदया की पढ़ाई में कमी नहीं आनी चाहिए। उसे इसी तरह आगे की कक्षाओं में भी मेहनत कर नम्बर लाने होंगे।
आदया बहुत खुश थी। क्योंकि अब उसके पिता को उसकी पढ़ाई के लिए खर्चा नहीं करना पड़ेगा। उसके पिता भी आदया के परिणाम से बहुत खुश थे। इसलिए उपहार स्वरूप उन्होंने आदया को अपनी कमाई में से बचत कर एक स्मार्ट फोन लाकर दिया।‌ आदया फोन पा कर खुशी से उछल पड़ी। 
“बाबा, आपका बहुत बहुत आभार। मैं इसे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल करुंगी।” आदया ने चहकते हुए कहा।
कुछ दिन तो  आदया स्मार्टफोन से अपनी पढ़ाई से संबंधित जानकारी हासिल करती रही। पर कुछ दिनों बाद दोस्तों के कहने पर उसने फेसबुक, वॉट्सएप जैसे सोशल मीडिया के प्लैटफॉर्म डाउनलोड कर लिए। 
अब अधिकतर समय वह यूट्यूब पर वीडियो देखने, स्पॉटीफाई पर गाने सुनने, अपनी सुन्दर तस्वीरें खींच उसे अपलोड करने में व्यतीत करने लगी। पढ़ाई से तो जैसे उसका नाता ही टूट गया था। 
अपनी पढ़ाई पर तो वो ध्यान दें ही नहीं रही थी, अपने भाई देवांश की पढ़ाई पर भी कुछ ध्यान नहीं दे रही थी। अब वो ना उसे अपने हाथों से तैयार करती और ना ही खाना खिलाती। सारा समय सहेलियों के साथ लगी रहती। 
उसकी दसवीं कक्षा थी ये सोच उसके पिता ने कामवाली और खाना बनाने वाली भी रख ली थी। वह चाहते थे कि आदया अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाए। पर उन्हें क्या मालूम था कि उनका दिया तोहफा एक मायाजाल बन जाएगा। 
वो चाहते तो आदया को डांट सकते थे। पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। वह जानते थे कि आज नहीं तो कल आदया को आभास हो जाएगा कि वो जो कर रही है ग़लत कर रही है। 
आदया और देवांश की पहले सत्र की परीक्षा सिर पर थी। आदया के हाथ पैर ही फ़ूल गये। क्योंकि मोबाइल पर वीडियो देखने, सहेलियों से वॉट्सएप पर बात करने के अलावा आदया ने कुछ और किया ही नहीं था। देवांश ने तो जैसे-तैसे पढ़ाई कर ली थी। 
परीक्षा के दिन आदया बहुत घबराई हुई थी। उसे प्रिंसिपल की बात याद आने लगी कि यदि वह अच्छे अंक नहीं लाएगी तो उससे स्कॉलरशिप वापस लेकर किसी और विद्यार्थी को दे दी जाएगी। उसे अपनी गलती का एहसास होने लगा था। पर अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। 
परीक्षा के परिणाम घोषित हुए। जो आदया अपनी कक्षा में प्रथम आती थी आज वो प्रथम दस में भी नहीं थी। उसकी आंखों से आंसू बह निकले। प्रिंसिपल ने उसे अपने ऑफिस में बुलाया।
“क्या बात है आदया? आपसे ये उम्मीद नहीं थी बच्चे। कुछ परेशानी है क्या?” 
आदया की आंखों में नमी थी। उसने रोआंसी आवाज़ में कहा,”मैम, मुझे माफ़ कर दीजिए। मैं भटक गई थी। पिताजी ने मोबाइल मुझे मेरी पढ़ाई में मदद के लिए लाकर दिया था पर मैंने ही उसका सही इस्तेमाल नहीं किया। पर अब मैं समझ गई हूं। कृपया मुझे एक और मौका दें। मैं वापस मेहनत कर प्रथम स्थान प्राप्त करके दिखाऊंगी।” 
प्रिंसिपल ने आदया को एक और मौका दिया। आदया घर पहुंची और अपने पिता से माफी मांगते हुए बोली,
“मुझे माफ़ कर दीजिए। मुझे अपने ऊपर बहुत घमंड हो गया था। मुझे लगा कि बिना पढ़े भी मैं अव्वल आ जाऊंगी। पर मैं ग़लत थी। आपने स्मार्टफोन मुझे पढ़ाई के लिए लाकर दिया था और मैंने उसका सही प्रयोग नहीं किया।” 
अनन्या के पिता ने उसके आंसू पोंछे और उसे गले से‌ लगाते हुए कहा,”मुझे पता था कि मेरी बिटिया को जल्द ही अपनी गलती का एहसास हो जाएगा। अब खूब मेहनत करना और मोबाइल का सदुपयोग करना।” 
अनन्या जैसे और ना जाने कितने ही बच्चे हैं जो मोबाइल के मायाजाल में फंस चुके हैं। हमें मोबाइल का इस्तेमाल ज्ञान अर्जित करने के लिए ही करना चाहिए। फ़ालतू के वीडियो, सोशल ग्रुप, ऑनलाइन खेल इत्यादि से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। ये सब चीज़ें हमारा समय नष्ट करती हैं और पढ़ाई में नुकसान पहुंचाती हैं। जिस दिन युवा पीढ़ी यह समझ जाएगी उस दिन वो मोबाइल के इस जाल से मुक्त हो जाएगी।
समाप्त
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