कहना है बहुत कुछ तुमसे,
मानो या न मानो
मोहब्बत आज भी बहुत है तुमसे,
ये सर्द भरी रातों में,
मोहब्बत की तपिश हो तुम,
मानो या न मानो,
उस खुदा से मांगी
आखिरी ख्वाहिश हो तुम,
मोहब्बत बहुत है तुमसे,
बयां करने को दिल डरता बहुत है तुमसे,
मानो या न मानो
मेरी रूह में उतरा गुलाब हो तुम
मेरे मन्नतों का पहला सबाब हो तुम,
मानो या न मानो
मेरी मुस्कुराहटों में बसता सुकून हो तुम,
मेरी आँखों में जो चमक बसती है,
उन आँखों का नूर हो तुम,
बार बार इजहार ए मोहब्बत क्या करूँ हुज़ूर,
एक बार कर दिया इजहार बस
ताउम्र तुम्हारा इंतजार ही है बस,
मानो या न मानो,
इस दिल को तुम्हारी आस बहुत है,
हो जाये तुम्हें मेरी रूहानी मोहब्बत का एहसास, यही बहुत है,
मानो या न मानो,
इस दिल को तेरी इबादत बहुत है
मेरे रूह ए मकां तो तेरी जरूरत बहुत है।
निकेता पाहुजा
रुद्रपुर, उत्तराखंड