मां मैंने फूलों को झरते हुए देखा!
लगा मैंने तुम्हें हँसते हुए देखा!!
मैंने पत्तियों को झूमते देखा हवाओं संग ,
मुझे लगा तुम किसी से बातें कर रही!!
सुबह-सुबह पत्तियां ओस -कणों से भीगी थी
क्या तू भी मेरे लिए रोई थी!
ये हवाओं में खुशबू बिखरी है
क्या ये तूने आशीष भेजी है!!
“पाम “