सावन का महीना था और बाहर झमाझम पड़ रही थी ।
” तनु रूक जा …”” नहीं, हा… हा… मैं नहीं दूंगी ” तनु भाग रही थी और इतराते हुए कहा ।मुन्नी, तनु की बड़ी बहन, दोनों में केवल २ साल का अंतर था । मुन्नी खुद केवल ६ साल की बच्ची है। जो अपनी छोटी बहन से अपनी गुड़िया मांगने के लिए दौड़ रही थी। तनु मां के पीछे जाकर छुप गई ।” आई, देखो ना तनु मेरी गुड़िया नहीं दे रही ।”मां ने मुस्कुराते हुए तनु की तरफ देखा और कपड़े सुखाते हुए प्यार से पूछा, ” क्यों रे तनु ! “” आई मुन्नी से कहो ना, मुझे गुड़िया दे दे।” तनु ने मां से हठ करके कहा ।” नहीं आई, मेरी सब चीजें ले लेती है। मैं नहीं दूंगी ! ” मुन्नी कहते हुए नाराज हो गई ।” मां ने कपड़े छोड़, मुन्नी को गोद में बिठाया और पुचकार कर समझाने लगी, ” देख मेरी गुड़िया एक दिन तुझे पराए घर जाना है, त्याग और समर्पण ही तेरा आभूषण होगा। ये तो अभी छोटी है तुझे उसे अपनी छोटी बहन सोच कर दे देना चाहिए। “” आई, हर बार तुम ऐसे ही बोलती हो। कभी बोलती हो मैं बच्ची हूं, कभी बोलती हो मैं बड़ी हूं। और अगर त्याग बलिदान ही करना है तो मैं शादी नहीं करूंगी। “” अरे मेरी पोरकी, नाराज़ हो गई क्या ? बेटी मैं तेरी भलाई के लिए कह रही हूं। तू तो मेरी समझदार बेटी है ना !”” ठीक है मुझे अपनी साड़ी दो “मां ने सूटकेस में से अपनी एक पूरानी साड़ी निकाल कर दे दी। तनु को अब तीव्र उत्तेजना हुई कि मुन्नी अब क्या करेगी ! मुन्नी कमरा बंद करके अंदर चली गई। मां भी समझ नहीं सकी कि तनु को क्या हुआ था। दोनों ने दरवाजा खटखटाया ।” आई, मेरी चिंता करो नको। मैं बड़ी हो गई हूं।”थोड़ी देर में जब मुन्नी बाहर आई तो उसने अपने हाथों से बनाई हुई कठपुतली मां को दिखाई। मां की खुशी का ठिकाना न था। मां ने उसे गले लगा लिया ।” मुन्नी ले तू अपनी गुड़िया ले ले, मां की साड़ी की गुड़िया मुझे देगी ! ” तन्नु को कठपुतली भा गई थी ।” नहीं तनु , मेरी प्यारी बेटी, मुन्नी तेरी बड़ी बहन है लेकिन जो उसने अपनी महेनत से हासिल किया है उसपर तेरा अधिकार कैसे हो सकता है! ये गुडिया केवल मुन्नी की है बेटा । ” मां ने तनु को गले लगा लिया और मुन्नी की तरफ प्यार से देखा ।मुन्नी दौड़ कर मां को कसकर अपनी छोटी छोटी बांहों में भरने की कोशिश करती है, और कहती है,” आई, जब मैं शादी करके जाऊं तो आप मुझे अपनी साड़ी देना । “” अगो बई ! तू क्या करेगी बेटा मेरी साड़ी का ! “मां ने आश्चर्य से पूछा ।” आई, मैं आपके जैसी बनूंगी। “” मुन्नी, तू बड़ी होगी ना तो ऐसा काम करना कि तेरे आई बाबा का नाम रोशन हो । ” मां ने मुन्नी के गाल सहलाते हुए कहा ।छोटी सी तनु गुड़िया को हाथ में लिए धीरे से आई के नज़दीक आई और आई का हाथ खिंचकर बोली, “आई, बोलो ना मेरा भी रोशन करे !” तन्नु ने मासुमियत से कहा ।मां ने हंसते हुए दोनों बेटियों को गले लगा लिया ।मां की साड़ी बेटियों के लिए प्रेरणा होती है। उस आंचल में सारे दुखों की दवा होती है। जब आंख में कचरा चला जाए तो मां अपने आंचल को आंख पर रख कर फूंक देते हुए मानो कह रही हो मैं तुझे संभाल लूंगी। मां अपने आंचल से जब बच्चे का पसीना पोंछती है तो मानो अपनी संतान पर गर्व कर रही हो। और जब विदाई की साड़ी बेटी को उढाई जाती है तो मानो कहा जा रहा हो कि मां के दिए संस्कार साथ लेकर चलना ।दोस्तों कहानी अच्छी लगे तो अपने कमेंट से मुझे प्रोत्साहित अवश्य कीजियेगा और मुझसे जुड़े रहने के लिए मुझे फोलो अवश्य कीजियेगा, जिससे आप आगे भी मेरे इस सफर में मेरे हमसफ़र बनें। धन्यवादआपकी अपनीDeep
