बड़ा जो देखन मैं चला, बड़ा ना मिल्या कोय
जग भर मैने देख लियो, मां से बड़ा ना कोय ! 
खुदा ना रह सके हर ठौर, दियो  वो मात बनाय!
मां खुदा अब बन गई ,खुदा हाथ मल जाय!!
कोई  भी रिश्ता जग में ,मां के जस न होए!
लाल के वाट जोहतजोहत,
जो खुली  अंखियन से सोय!!
मेरे दुख में वा ही ,मुझसे ज्यादा रोय!
सुंदर संस्कारों के बीज वो हमरेअंदर बोए!!
गुना भाग करी देख लो,  सबका प्रेम है शेष!
 नौ माह अधिक मात प्रेम  ,है  इसीलिए विशेष!!
मोरी रोटीखातिर जला लियो ,उंगली  कितनी बार !
उन्हीं उंगली  को थाम चलयो मैं  कितनो साल !!
मंदिर मस्जिद गिरिजा घर, माथा टेक्यो जाए
दुआ मांग औलाद  हेतु, कोई विपदा न आए !!
मां का कर्ज अस होत है ,उतार सके न कोय! 
 सम्मुख उनके  हरि भी, नत मस्तक है होय!!
 शकुंतला, जीजाबाई, पन्ना ,लक्ष्मीबाई
दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए पीठ पे बालक बांध !!
हो सके तो चूम लो , जा के मां का हाथ !
खाय निवाला जिन हाथन,बने हो अफसर आज !!
भाव पूर्णम कह रही सुनो बांध के गांठ 
मां है भूखी प्रेम की ,न चाहे वो ठाठ !!
पूनम श्रीवास्तव
महाराष्ट्र
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